*💎जानिए आदिवासी कौन💎*
(आवश्य वाचा व विचार करा)
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आदिवासी कौन है
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_आदिवासी कोई जाति या कोई धर्म नहीं है. आदिवासी उन जातियों का समूह है जो भारत में अनादि काल से निवास कर रहे हैं, जैसे - मुंडा, गरासिया, भील , भिलाला, गोंड, हल्बा, कंवर, कोकणी, अंध, ठाकर, पारधी, महादेव कोली, इत्यादि आदिम जाति के समूह को "आदिवासी" कहा जाता है._
आदिवासी क्या है -
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_आदिवासी शब्द आदि + वासी दो शब्दो का बना है जिसका अर्थ अनादि काल से भौगोलिक स्थान पे वास करने वाला व्यक्ति, समूदाय, मूलवासी/ आदिवासी ऐसा होता है_
_आज आदिवासीयों के कई नाम है जो लोगो नें केवल अपने राजनैतिक फायदों के लिये दिये है, जैसे की वनवासी, वनबंघु, जंगली, मूलनिवासी, गिरीजन, बर्बर, एबोरिजनल, जनजाति है._
_आदिवासीयों का संविघानिक नाम- "अनुसुचित जनजाति (Schedule Tribe - ST)" है._
_आज हम आदिवासी का प्रतिबिंबित दृश्यचोर, लूटेरा, गंवार, अनपढ़, अधनंगा मनुष्य की तरह लेते है. क्योंकि TV_मिडीया_ चेनलों और फिल्मों मे हमें ऐसे ही *जान बुझकर* दर्शाया जाता है._
_आज कुछ लोग अपने आदिवासी होने की पहचान छुपाते हैं और वो "कुछ" लोग शहर मे पढाई एवं नौकरी कर रहे व्यक्ति हैं - क्योकि उनकी मानसिकता में आदिवासी चोर, लूंटेरा, गंवार, अनपढ़, अधनंगा, अँधश्रद्दा में माननें वाला इंसान होता है_
_सही मे आदिवासी "कुदरती इंसान" है जिसका महत्व युनो (UNO) ने दिया है. क्योंकि आदिवासी "प्रकृति रक्षक" और L.R.R. 1972 की P.No. 419 में आदिवासीयो का उल्लेख *"नेचुरल कम्युनिटी"* के नाम से किया गया है. हमें गर्व होना चाहिये की हम एक आदिवासी हैं._
*हम भारत के आदिवासी*
*भारत देश के असली मालिक हैं.*
_आदिवासी का उल्लेख रामायण, महाभारत, बाइबल, कुरान में भी है अत: ये दस्तावेजी साबित भी हो गया है की आदिवासी A/C Ante Christ (इसु ख्रिस्त) पहले का *Nonjudicial* "कुदरती समूदाय" है_
_आज भारत में तकरिंबन १४-१५ करोंड आदिवासी हैं, जो अलग-अलग भौगोलिक स्थान में अपनी अलग-अलग रिती रिवाज, परम्परा, सामाजिक व्यवस्था, भाषा बोली, संस्कृति के साथ जी रहे हैं_
*आदिवासी धर्म पूर्वी हैं*
*आदिवासी ए/सी (Ante Christ) है!*
_आदिवासीयों का इतिहास में अति महत्वपूर्ण भाग रहा है, और आदिवासीयों की गणना एक "कुदरती" "सच्चे" "व्यवहारिक" और "लड़ायक" कोंम में होती है_
–––––––––––––––––––
_हमें गर्व है की हम एक आदिवासी हैं, कुछ लोग शर्माते हैं, खुद को आदिवासी कहनें से, और शर्मानें वालें ज्यादातर लोग वो हैं जो आदिवासी समाज के नाम पर आरक्षण का फायदा लेकर शहरों में सरकारी पदो पें फर्ज बजा रहे हैं और जो आदिवासी युवा पढाई के लियें शहरो में गये हैं, वो खुद को “आदिवासी” कहनें मे शर्माते हैं क्योकि वो दूसरी संस्कृति / रिती -रिवाज को “आदिवासी सभ्यता” सें बड़ा मानते है और आदिवासी को अधनंगा,चोर-लूटेरा, जंगली,अनपढ़, गंवार होने की कल्पना करते है, जब पढ़ाई, नौकरी, चुनाव या कहीं पर भी फार्म भरने के लिए सर्टिफिकेट बनाते हैं, तो उस समय कुछ याद नही आता है उस समय तो केवल अपना फायदा लेने लिए काम निकालना था, अपना काम होने के बाद समाज जाए भाड़ में ऐसा बोलकर निकल जाता है, जरूरत पड़ने पर फिर से समाज के आसपास घूमता / मंडराता है, औऱ सबसे ज्यादा ऐसे लोग ही समाज को बर्बाद किए हैं !_
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_जबतक हमारें लोग अपनी आदिवासी सस्कृति,व्यवहार और सभ्यता को नहीं जानेंगे तबतक वो खुद को आदिवासी कहनें सें शर्मायेंगे।_
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_आदिवासी जीवन दर्शन ,आदिवासी संस्कृति, सभ्यता ,सामाजिक व्यवस्था और व्यवहार सभी धर्मो सें बढ़कर है पहले खुद को समझो बाद में अपनें आदिवासी होने पे गर्व करो, जबतक आप आदिवासी क्या है यें समझोगें ही नही तबतक आप अपनें आप पें “गर्व” नही कर सकोगे, क्योंकि आपकी नजर में आदिवासी का अर्थ जैसे फिल्मों में दिखाते हैं वैसा हिप-हिप-हुर्रे, झींगालाला हो हो, झींगालाला हो हो, अधनंगे, चोर-लूटेरे, जंगली, गंवार, अनपढ़ ,बैल को खाने वाला ,इँसान को खाने वाला ही दिखता है,_
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मैं खुदको आदिवासी होने पे गर्व करता हूँ क्योकि…..
_१ > हम इस देश के मालिक हैं और सदियों से इस देश में निवास करते आ रहे हैं, आदिवासी का अर्थ ही किसी भौगोलिक स्थान पे अनादि काल से निवास करना है और मैं वो आदिवासी हूँ जो मेरे पूर्वज भारत में सदियों से रह रहे हैं ,भारत देश के हम मालिक हैं !_
_२ > UNO नें किसी धर्म या जाति विषेश को छोड के सिर्फ आदिवासीयों के विकास एवं रक्षा कें लियें ९ अगस्त (9 Auguest) “विश्व आदिवासी दिवस (World Aboriginal Day)” जाहिर किया है!_
_३ >आदिवासी समाज में स्त्री (महिला) की इज्जत की जाती है,और उसें पुरुष कें बराबर का हक दिया जाता है!_
_४ > आदिवासी व्यवहार प्रेम का व्यवहार है, यहाँ किसी कें खानें-पीनें, दूध आदि कुदरती संपत्ति के पैसे (Charge) नही है!_
_५ > क्षत्रिय अगर खुद के राज- रज़वाडो पे गर्व करतें हैं तो इसकी वज़ह सिर्फ और सिर्फ आदिवासी है, अगर आदिवासी जंगलों में मुगल एवं दूसरें दूश्मनो के हमलें का जवाब नही देता तो आज क्षत्रियो का नामोनिशान नही होता, और आज भी गुजरात और राजस्थान के राष्ट्रचिन्ह में एक और क्षत्रिय तो दूसरी ओर भील है,_
_६ > आदिवासी ने आजतक किसी की गुलामी नहीं की और वो जितना सहनशील होता है उतना ही खुंखाऱ होता है!_
_७ > आदिवासी रिती-रिवाज एक दूसरें की सहायता के लियें बने हुवें है और कभी किसी आदिवासी कें माता-पिता किसी वृद्दाश्रम में नही दिखेंगे क्योकि आदिवासीयों के लियें माता-पिता सर्जनहार है। मुझे गर्व है की में आदिवासी हूँ!_
_८ > एकलव्य जैसा वीर स्वयंगुरु आदिवासी है_
_९ >हमें गर्व है कि- बिरसा मुंडा, टांट्या भील, गुंडाधुर, जैसे कई ऐसे क्रांतिकारियो पर।_
_हर शिक्षित आदिवासी जागो औऱ हमारे समाज को बचाने एवं बढ़ाने में अपना योगदान दो!जिस समाज ने आपको बढ़ाया हैं ,उसका कर्ज अदा करो।_
_जय आदिवासी - जय प्रकृती_
(आवश्य वाचा व विचार करा)
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आदिवासी कौन है
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_आदिवासी कोई जाति या कोई धर्म नहीं है. आदिवासी उन जातियों का समूह है जो भारत में अनादि काल से निवास कर रहे हैं, जैसे - मुंडा, गरासिया, भील , भिलाला, गोंड, हल्बा, कंवर, कोकणी, अंध, ठाकर, पारधी, महादेव कोली, इत्यादि आदिम जाति के समूह को "आदिवासी" कहा जाता है._
आदिवासी क्या है -
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_आदिवासी शब्द आदि + वासी दो शब्दो का बना है जिसका अर्थ अनादि काल से भौगोलिक स्थान पे वास करने वाला व्यक्ति, समूदाय, मूलवासी/ आदिवासी ऐसा होता है_
_आज आदिवासीयों के कई नाम है जो लोगो नें केवल अपने राजनैतिक फायदों के लिये दिये है, जैसे की वनवासी, वनबंघु, जंगली, मूलनिवासी, गिरीजन, बर्बर, एबोरिजनल, जनजाति है._
_आदिवासीयों का संविघानिक नाम- "अनुसुचित जनजाति (Schedule Tribe - ST)" है._
_आज हम आदिवासी का प्रतिबिंबित दृश्यचोर, लूटेरा, गंवार, अनपढ़, अधनंगा मनुष्य की तरह लेते है. क्योंकि TV_मिडीया_ चेनलों और फिल्मों मे हमें ऐसे ही *जान बुझकर* दर्शाया जाता है._
_आज कुछ लोग अपने आदिवासी होने की पहचान छुपाते हैं और वो "कुछ" लोग शहर मे पढाई एवं नौकरी कर रहे व्यक्ति हैं - क्योकि उनकी मानसिकता में आदिवासी चोर, लूंटेरा, गंवार, अनपढ़, अधनंगा, अँधश्रद्दा में माननें वाला इंसान होता है_
_सही मे आदिवासी "कुदरती इंसान" है जिसका महत्व युनो (UNO) ने दिया है. क्योंकि आदिवासी "प्रकृति रक्षक" और L.R.R. 1972 की P.No. 419 में आदिवासीयो का उल्लेख *"नेचुरल कम्युनिटी"* के नाम से किया गया है. हमें गर्व होना चाहिये की हम एक आदिवासी हैं._
*हम भारत के आदिवासी*
*भारत देश के असली मालिक हैं.*
_आदिवासी का उल्लेख रामायण, महाभारत, बाइबल, कुरान में भी है अत: ये दस्तावेजी साबित भी हो गया है की आदिवासी A/C Ante Christ (इसु ख्रिस्त) पहले का *Nonjudicial* "कुदरती समूदाय" है_
_आज भारत में तकरिंबन १४-१५ करोंड आदिवासी हैं, जो अलग-अलग भौगोलिक स्थान में अपनी अलग-अलग रिती रिवाज, परम्परा, सामाजिक व्यवस्था, भाषा बोली, संस्कृति के साथ जी रहे हैं_
*आदिवासी धर्म पूर्वी हैं*
*आदिवासी ए/सी (Ante Christ) है!*
_आदिवासीयों का इतिहास में अति महत्वपूर्ण भाग रहा है, और आदिवासीयों की गणना एक "कुदरती" "सच्चे" "व्यवहारिक" और "लड़ायक" कोंम में होती है_
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_हमें गर्व है की हम एक आदिवासी हैं, कुछ लोग शर्माते हैं, खुद को आदिवासी कहनें से, और शर्मानें वालें ज्यादातर लोग वो हैं जो आदिवासी समाज के नाम पर आरक्षण का फायदा लेकर शहरों में सरकारी पदो पें फर्ज बजा रहे हैं और जो आदिवासी युवा पढाई के लियें शहरो में गये हैं, वो खुद को “आदिवासी” कहनें मे शर्माते हैं क्योकि वो दूसरी संस्कृति / रिती -रिवाज को “आदिवासी सभ्यता” सें बड़ा मानते है और आदिवासी को अधनंगा,चोर-लूटेरा, जंगली,अनपढ़, गंवार होने की कल्पना करते है, जब पढ़ाई, नौकरी, चुनाव या कहीं पर भी फार्म भरने के लिए सर्टिफिकेट बनाते हैं, तो उस समय कुछ याद नही आता है उस समय तो केवल अपना फायदा लेने लिए काम निकालना था, अपना काम होने के बाद समाज जाए भाड़ में ऐसा बोलकर निकल जाता है, जरूरत पड़ने पर फिर से समाज के आसपास घूमता / मंडराता है, औऱ सबसे ज्यादा ऐसे लोग ही समाज को बर्बाद किए हैं !_
–––––––––––––––––––
_जबतक हमारें लोग अपनी आदिवासी सस्कृति,व्यवहार और सभ्यता को नहीं जानेंगे तबतक वो खुद को आदिवासी कहनें सें शर्मायेंगे।_
–––––––––––––––––––
_आदिवासी जीवन दर्शन ,आदिवासी संस्कृति, सभ्यता ,सामाजिक व्यवस्था और व्यवहार सभी धर्मो सें बढ़कर है पहले खुद को समझो बाद में अपनें आदिवासी होने पे गर्व करो, जबतक आप आदिवासी क्या है यें समझोगें ही नही तबतक आप अपनें आप पें “गर्व” नही कर सकोगे, क्योंकि आपकी नजर में आदिवासी का अर्थ जैसे फिल्मों में दिखाते हैं वैसा हिप-हिप-हुर्रे, झींगालाला हो हो, झींगालाला हो हो, अधनंगे, चोर-लूटेरे, जंगली, गंवार, अनपढ़ ,बैल को खाने वाला ,इँसान को खाने वाला ही दिखता है,_
–––––––––––––––––––
मैं खुदको आदिवासी होने पे गर्व करता हूँ क्योकि…..
_१ > हम इस देश के मालिक हैं और सदियों से इस देश में निवास करते आ रहे हैं, आदिवासी का अर्थ ही किसी भौगोलिक स्थान पे अनादि काल से निवास करना है और मैं वो आदिवासी हूँ जो मेरे पूर्वज भारत में सदियों से रह रहे हैं ,भारत देश के हम मालिक हैं !_
_२ > UNO नें किसी धर्म या जाति विषेश को छोड के सिर्फ आदिवासीयों के विकास एवं रक्षा कें लियें ९ अगस्त (9 Auguest) “विश्व आदिवासी दिवस (World Aboriginal Day)” जाहिर किया है!_
_३ >आदिवासी समाज में स्त्री (महिला) की इज्जत की जाती है,और उसें पुरुष कें बराबर का हक दिया जाता है!_
_४ > आदिवासी व्यवहार प्रेम का व्यवहार है, यहाँ किसी कें खानें-पीनें, दूध आदि कुदरती संपत्ति के पैसे (Charge) नही है!_
_५ > क्षत्रिय अगर खुद के राज- रज़वाडो पे गर्व करतें हैं तो इसकी वज़ह सिर्फ और सिर्फ आदिवासी है, अगर आदिवासी जंगलों में मुगल एवं दूसरें दूश्मनो के हमलें का जवाब नही देता तो आज क्षत्रियो का नामोनिशान नही होता, और आज भी गुजरात और राजस्थान के राष्ट्रचिन्ह में एक और क्षत्रिय तो दूसरी ओर भील है,_
_६ > आदिवासी ने आजतक किसी की गुलामी नहीं की और वो जितना सहनशील होता है उतना ही खुंखाऱ होता है!_
_७ > आदिवासी रिती-रिवाज एक दूसरें की सहायता के लियें बने हुवें है और कभी किसी आदिवासी कें माता-पिता किसी वृद्दाश्रम में नही दिखेंगे क्योकि आदिवासीयों के लियें माता-पिता सर्जनहार है। मुझे गर्व है की में आदिवासी हूँ!_
_८ > एकलव्य जैसा वीर स्वयंगुरु आदिवासी है_
_९ >हमें गर्व है कि- बिरसा मुंडा, टांट्या भील, गुंडाधुर, जैसे कई ऐसे क्रांतिकारियो पर।_
_हर शिक्षित आदिवासी जागो औऱ हमारे समाज को बचाने एवं बढ़ाने में अपना योगदान दो!जिस समाज ने आपको बढ़ाया हैं ,उसका कर्ज अदा करो।_
_जय आदिवासी - जय प्रकृती_
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