Friday, 15 September 2017

(#)जीएसएलव्ही एमके-3' चे यशस्वी प्रक्षेपण :-----

⭕भारतीय अवकाश संशोधन संस्थेने (इस्त्रो) तयार केलेल्या जीएसएलव्ही एमके-3 या आतापर्यंतच्या सर्वांत मोठ्या प्रक्षेपकाचे (रॉकेट) श्रीहरीकोटा येथून यशस्वी प्रक्षेपण झाले.

⭕जीएसएलव्ही एमके-3 हा पूर्णपणे स्वदेशी बनावटीचा उपग्रह प्रक्षेपक असून, त्यात भारतीय बनावटीच्या क्रायोजेनिक या शक्तिशाली इंजिनाचा वापर करण्यात आला आहे.

⭕सतीश धवन केंद्राच्या दुसऱ्या तळावरून सायंकाळी 5 वाजून 28 मिनिटांनी हा प्रक्षेपक अवकाशात झेपावला.⭕ या प्रक्षेपकाद्वारे 3.13 टन वजनाचा 'जी सॅट-19' हा दळणवळण उपग्रह अवकाशात पाठविण्यात आला असून, प्रक्षेपनानंतर 16 मिनिटांनी तो अवकाशात सोडण्यात आला.

⭕तसेच आगामी काळात या प्रक्षेपकाद्वारे अंतराळवीरांना अवकाशात पाठविणेही शक्‍य असल्याची माहिती सूत्रांनी दिली.

⭕या यशस्वी प्रक्षेपणामुळे चार टन वजनाचे उपग्रह स्वबळावर अवकाशात पाठविण्याची भारताची क्षमता सिद्ध झाली असून, यापूर्वी 2.3 टनापेक्षा अधिक वजनाचे उपग्रह अवकाशात पाठविण्यासाठी भारताला इतर देशांची मदत घ्यावी लागत होती, मात्र, हे अवलंबित्व आता संपुष्टात आले आहे.
(#)रायगडावर महाराजांचा शिवराज्याभिषेक दिन सोहळा :-----

⭕छत्रपती शिवाजी महाराजांचा शिवराज्याभिषेक दिन सोहळा मंगळवार, 6 जून रोजी किल्ले रायगडावर साजरा करण्यात येणार आहे. सोहळ्याला राज्यभरातून हजारो शिवभक्त उपस्थित राहणार आहेत.

⭕अखिल भारतीय शिवराज्याभिषेक दिन महोत्सव समितीच्या वतीने गडावर 5 व 6 जून रोजी विविध कार्यक्रमांचे आयोजन करण्यात आले आहे.

⭕युवराज छत्रपती संभाजीराजे यांच्या मार्गदर्शनाखाली होणाऱ्या या कार्यक्रमाची सुरुवात गडपूजनाने होणार आहे.

⭕6 जूनला पहाटे गडावरील नगारखान्यासमोर ध्वजारोहण, त्यानंतर संभाजीराजे यांच्या उपस्थितीत मुख्य राज्याभिषेक सोहळा होणार आहे.

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शिक्षकांसाठी उपयुक्त माहिती

*शालेय अभिलेखे*

शालेय अभिलेख्याचे पुढील प्रकार पडतात –
१) *विद्यार्थ्यांसंबंधी अभिलेखे*

     दाखल खारीज रजिस्टर,
    पालकांचे प्रतिज्ञालेख रजिस्टर,
     जन्म प्रमाणपत्र फाईल,
     शाळा सोडल्याचे प्रमाणपत्र रजिस्टर,
     विद्यार्थी हजेरी रजिस्टर,
     टी.सी. फाईल,
     टी.सी. जावक रजिस्टर,
     निकाल रजिस्टर,
     बढती रजिस्टर,
     गळती रजिस्टर,
     मूल्यमापन नोंदवही,
     बि.पी.एल. विद्यार्थी रजिस्टर,
     अपंग विद्यार्थी रजिस्टर


२) *शिक्षकांसंबंधी अभिलेखे*

    शिक्षक हजेरी रजिस्टर,
    पगारपेड रजिस्टर,
    शिक्षक सुचना रजिस्टर,
    शिक्षक हलचल रजिस्टर,
    शिक्षक रजेचे रजिस्टर,
    शिक्षक रजा अर्ज फाईल,
    वार्षिक व मासिक नियोजन रजिस्टर,
     मासिक अभ्यासक्रम प्रगतिपत्रक रजि.,
    पाठ टाचण वही,
     पगारपत्रक फाईल,
    मुख्याध्यापकांचे लॉगबुक



३) *आर्थिक अभिलेखे*

     स.शि.अ. रोकड रजिस्टर,
    स.शि.अ. खर्चाची पावती फाईल,
    स.शि.अ. लेजर रजिस्टर,
    सादील रोकड रजिस्टर,
    सादील खर्चाची पावती फाईल,
    सादील लेजर रजिस्टर,
    बांधकाम खर्चाची पावती फाईल,
    बांधकाम रोकड रजिस्टर,
    बांधकाम लेजर रजिस्टर,
    शाळा सुधार फंड रोकड रजिस्टर,
    शाळा सुधार फंड खर्चाची पावती फाईल,
    धनादेश नोंद रजिस्टर

४) *शासकीय योजना अभिलेखे*

    मोफत पाठ्यपुस्तक वाटप रजिस्टर,
    मोफत गणवेश वाटप रजिस्टर,
    शालेय पोषण आहार रजिस्टर,
    उपस्थिती भत्ता वाटप रजिस्टर,
    उपस्थिती भत्ता देयके फाईल,
    अपंग शिष्यवृत्ती रजिस्टर,
    आदिवासी सुवर्ण महोत्सवी शिष्यवृत्ती रजिस्टर,
    दत्तक पालक योजना रजिस्टर


५) *जडवस्तुसंग्रह अभिलेखे*
(डेडस्टॉक रजिस्टर)

     जंगम मालपुस्तिका,
     सामान्य मालपुस्तिका रजिस्टर


६) *कार्यालयीन इतर अभिलेखे*

    पालक संपर्क रजिस्टर,
    आरोग्य तपासणी रजिस्टर,
    आरोग्य तपासणी कार्ड फाईल,
    परीक्षा पेपर फाईल


*अभिलेख जतन कालावधी*
अ.क्र.  अभिलेख श्रेणी  अभिलेखाचे नाव  जतन करावयाचा कालावधी
(01)  अ  सर्वसाधारण प्रवेश नोंदवही / जनरल रजिस्टर  कायम
(02)  अ  फर्निचर, ग्रंथालय, प्रयोगशाळा साधनसामग्री इ. संग्रह नोंदवही  कायम
(03)  अ  परिपत्रके, आदेश फाईल  कायम
(04)  अ  भविष्य निर्वाह निधी लेखा नोंदवही  कायम
(05)  अ  मुख्याध्यापकाचे लॉगबुक  कायम
(06)  ब  रोकड वही / खतावणी (सादील / वेतनेतर अनुदान)  30 वर्षे
(07)  ब  कर्मचा-यांचे पगारपत्रक पावत्या, वेतनस्थिती  30 वर्षे
(08)  ब  विवरण पत्र – लेखा परीक्षित विवरणपत्रासह निरीक्षण अहवाल  30 वर्षे
(09)  ब  नेमणूक केलेल्या शिक्षकांकडून मिळालेली कार्यमुक्ती प्रमाणपत्र  30 वर्षे
(10)  ब  रोकड वही / खतावणी (स.शि.अ.)  30 वर्षे
(11)  ब  विद्यार्थी संचयी नोंदपत्रक  30 वर्षे
(12)  ब  सेवा पुस्तिका  कर्मचारी शाळेत काम करीत असेपर्यंत व नंतर 2 वर्षे
(13)  क-1  इतर शाळेकडून मिळालेली शाळा सोडल्याची प्रमाणपत्रे  10 वर्षे
(14)  क-1  शाळा सोडल्याचे दाखले  10 वर्षे
(15)  क-1  फी, पावतीपुस्तके / फी वसुली नोंदवही  10 वर्षे
(16)  क-1  आकस्मिक खर्च नोंदवही, बिले प्रमाणके  10 वर्षे
(17)  क-1  विद्यार्थी व कर्मचारी हजेरी पत्रके  10 वर्षे
(18)  क-1  वसतिगृह खोलीभाडे नोंदवही  10 वर्षे
(19)  क-1  महत्त्वाच्या स्वरूपाचा संकीर्ण पत्रव्यवहार  10 वर्षे
(20)  क-1  फी माफी व शिष्यवृत्तीसाठई केलेले अर्ज आणि विविध सवलती बिलांच्या कार्यालय प्रती  10 वर्षे
(21)  क-1  सातत्यपूर्ण सर्वंकष मूल्यमापन नोंद वही (वार्षिक नोंदी बाबत)  10 वर्षे
(22)  क-2  जमा खर्च दर्शविणारी खातेवही व सत्र फीसाठी वेगळी खातेवही  5 वर्षे
(23)  क-2  आवक-जावक नोंदवह्या व मुद्रांक (तिकिट) हिशोब  5 वर्षे
(24)  क-2  रोकडवही (शा. पो. आ.)  5 वर्षे
(25)  क-2  शाळा व्यवस्थापन समिती, शिक्षक पालक संघ / माता पालक संघ इतिवृत्त नोंदवही  5 वर्षे
(26)  ड  सर्व वर्गांच्या मूल्यमापन उत्तरपत्रिका (विद्यार्थ्यांना परत न करावयाच्या)  18 महिने
(27)  ड  शिक्षक व अन्य कर्मचा-यांचे नैमित्तिक रजेचे अर्ज  18 महिने
*संकलन*
 *छगन शेटे*
*आपल्या सर्वांना संग्राहित ठेवावे अशी माहिती*

*आपल्याला कंप्यूटर वर बरेच काम करावे लागत आहे त्यामुळे आपनास काही शॉर्टकिट सांगत आहे* ,
ही पोस्ट आपन सेव करून ठेवा आणि उपयोगात आणा
विंडोस कीबोर्ड शोर्टकट
≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡
CTRL+C = कॉपी
CTRL+X = कट
CTRL+V = पेस्ट
CTRL+Z = अन्डू
DELETE = डिलीट
SHIFT+DELETE = डिलीट (बिना रिसाईकिल
बिन रखे)
F2 = रिनेम
CTRL+RIGHT ARROW = कर्सर को अगले शब्द के शुरू
में रखता है
CTRL+LEFT ARROW = कर्सर पिछले शब्द के शुरू में
रखता है.
CTRL+DOWN ARROW = कर्सर को अगले पैराग्राफ
के शुरू में रखता है .
CTRL+UP ARROW = कर्सर को पिछले पैराग्राफ
के शुरू में रखता है.
CTRL+A = सेलेक्ट आल
F3 = सर्च
ALT+ENTER = सेलेक्टेड आइटम की प्रोपर्टी
ALT+F4 = एप्लीकेशन विंडो को बंद करता है
ALT+SPACEBAR = एक्टिव विंडो का शोर्टकट
मेनू
CTRL+F4 = डाकुमेंट विंडो को बंद करता है
ALT+TAB = खुले हुए आइटम्स के बीच स्विच करता
है
ALT+ESC = Cycle जिस क्रम में विंडोस खुले
F4 = एड्रेसबार लिस्ट
CTRL+ESC = स्टार्ट मेनू
F10 = एक्टिवेट मेनूबार
F5 = रिफ्रेश एक्टिव विंडो .
BACKSPACE = बेक
ESC = केंसिल कर्रेंट टास्क
SHIFT जब DVD इन्सर्ट हो = ऑटोरन को रोकता
है
TAB = फोकस आगे बढाना
SHIFT+TAB = फोकस पीछे करना
F1 = हेल्प
Window = स्टार्ट मेनू
window+BREAK = सिस्टम प्रोपर्टी
window+D = डेस्कटॉप
window+M = मिनिमाईज़ आल
window+Shift+M = रिस्टोर आल
window+E = माय कम्प्युटर
window+F = सर्च
CTRL+ window+F = सर्च कम्प्युटर
window+ L = सर्च कम्प्युटर या स्विच यूजर
window+R = रन डायलोग बॉक्स
window+U = यूटिलिटी मेनेजर
Windows Explorer
END = एक्टिव विंडो का बाटम
HOME = एक्टिव विंडो का टॉप
NUM LOCK+ * = सेलेक्टेड फोल्डर के सभी
सबफोल्डर
NUM LOCK+ numeric keypad (+) = सेलेक्टेड
फोल्डर का कंटेंट
NUM LOCK+numeric keypad (-) = कोलेप्स सेलेक्टेड
फोल्डर
LEFT ARROW = कोलेप्स सेलेक्शन
RIGHT ARROW = डिस्प्ले कोलेप्सड सेलेक्शन
Windows Mediaplayer
≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡≡
ctrl+o ओपन
ctrl+u ओपन url
ctrl+w क्लोस
ctrl+n नई प्लेलिस्ट
ctrl+d एडिट कर्रेंट प्लेलिस्ट
ctrl+1 फुल मोड़
ctrl+2 स्किन मोड़
alt+enter फुल स्क्रीन
f 5 रिफ्रेश
ctrl+p प्ले/ पाउस
ctrl+s स्टॉप
ctrl+shift+g फास्ट प्ले
ctrl+shift+n नोर्मल प्ले
ctrl+shift+s स्लो प्ले
ctrl+b पिछला
ctrl+f अगला
ctrl+shift+b रिवाईंड
ctrl+shift +f फास्ट फारवर्ड
ctrl+h शफल
ctrl+t रिपीट
ctrl+shift+c केप्शन & subtitle
f10 वोल्यूम अप
f 9 वोल्यूम डाउन
f 8 म्यूट
ctrl+e इजेक्ट
          🙏  🙏
 विंडोस कीबोर्ड शोर्टकट
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*_अगर रेल यात्रा में आपका सामान चोरी हो जाए, तो ... ?_* (ध्यान से पढें)!

*R.T.I. 🚊उपयोगी जानकारी 🚊*

लखनऊ से जबलपुर लौटते वक्त ए.सी. कोच में जबलपुर की एक महिला प्रोफेसर का पर्स चोरी हो गया, जिसमें लाखों के जेवर और रुपए थे। अब तक उस सामान का पता नहीं लग सका है। चोरी गए सामान की कीमत अब रेलवे को देना होगी।

सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश ने रेल यात्रियों को यह सुविधा दिला दी है।इसके लिए पीड़ित यात्री को उपभोक्ता फोरम में रेलवे की सेवा में कमी का मामला दायर करना होगा।

राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के मुताबिक रिजर्व कोच में अनाधिकृत व्यक्ति का प्रवेश रोकना टी.टी.ई. की जिम्मेदारी है, और अगर वह इसमें नाकाम रहता है, तो रेलवे सेवा में खामी मानी जाएगी।

कैसे मिला अधिकार: फरवरी 2014 में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने ट्रेन से चोरी गए महिला डॉक्टर के सामान की राशि का भुगतान रेलवे को करने का आदेश दिया। रेलवे ने इस पर दलील दी की "ये मामला रेलवे क्लेम टिब्यूनल में ही सुना जा सकता है।" जबकि यात्री के वकील के मुताबिक टिब्यूनल में सिर्फ रेलवे में बुक पार्सल के मामलों को ही सुना जाता है।
न्यायमूर्ति सी.के. प्रसाद और पिनाकी चंद्र घोष की पीठ ने 17 साल पुराने इस मामले में रेलवे की दलील को खारिज कर दिया और राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के फैसले में दखल देने से इंकार कर दिया।

 यह अधिकार यात्रियों के लिए जितना सुविधाजनक है, उतना ही रेलवे और पुलिस के लिए मुश्किल भरा। इसका दूसरा पक्ष यह भी है कि इसकी जानकारी यात्रियों को नहीं है, और न ही इस जानकारी को उन तक पहुंचाने के लिए कोई कारगर कदम उठाए गए हैं।

ट्रेन में चोरी होने के बाद रिपोर्ट दर्ज कराते वक्त पीड़ित को इस बारे में पुलिस द्वारा जानकारी नहीं दी जाती।

 हालांकि जबलपुर जी.आर.पी. का कहना है कि 1 अप्रैल, 2014 के बाद यह आदेश जारी हुआ और 6 माह बाद यानि सितम्बर से अब तक एक भी मामले नहीं आए।

6 माह करना होगा इंतजार चोरी गए सामान को तलाशने के लिए जी.आर.पी. के पास 6 माह का वक्त होगा। इस दरमियान यदि पुलिस पीड़ित का सामान नहीं तलाश पाती तो वह उपभोक्ता फोरम जा सकता है|

इसके लिए एफ.आई.आर. दर्ज कराते समय पुलिस को पीड़ित से उपभोक्ता फोरम फार्म भरवाना होगा।

 ओरिजनल कॉपी पीड़ित के पास होगी, और पुलिस कार्बन कॉपी अपने पास रखेगी। एफ.आई.आर. और फार्म ही यात्री का मूल दस्तावेज होगा, जिसके आधार वह केस दर्ज कराएगा।

ये हैं आपके अधिकार यह सुविधा सिर्फ स्लीपर या ए.सी. कोच में रिजर्वेशन कराने वाले यात्रियों के लिए है।

उपभोक्ता फोरम के जानकार एडवोकेट  बताते हैं कि रिजर्वेशन के दौरान यात्री से 2 रुपए सुरक्षा शुल्क लिया जाता है। इधर ट्रेन में स्लीपर कोच यात्री को दिया जाता है, जिसके बाद यह तय होता है कि आपने उसे ट्रेन में सोने का अधिकार दिया है और इस दौरान जो भी घटना होती है, उसका जिम्मेदार रेलवे ही होगा। ट्रेन के स्लीपर या एसी कोच में यात्रा करते समय यात्री का सामान चोरी होता है तो शिकायत दर्ज करते वक्त उससे उपभोक्ता फोरम का फार्म भरवाया जाता है। यदि 6 माह तक पुलिस उसका सामान नहीं तलाश पाती तो वह फार्म की कॉपी ले जाकर उपभोक्ता फोरम में मामला दर्ज कर सकता है, जहां पर रेलवे को पीड़ित का हर्जाना देना होगा।

💥 इसे पढ़ कर सिर्फ अपने तक सीमित मत रखिए, बल्कि इसे आगे बढ़ाइए ...💥
"ही माहीती नक्की वाचा" आपणा सर्वांना भारतीय असण्याचा अभिमान वाटावा अशी माहिती या मेसेज मधून मिळाली. ती आवडली म्हणून आपणास शेअर करीत आहे.
1. भारताने लावलेले शोध 
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A. बुद्धिबळ
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B. शून्य
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C. आयुर्वेद - २५०० वर्षांपूर्वी चरकाने लावला
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D. जलपर्यटन (Navigation)- ६००० वर्षांपूर्वी, Navy हा शब्ददेखील
संस्कृत शब्द ‘नौ’ ने तयार झाला आहे.
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E. पृथ्वीला सूर्याभोवतीची प्रदक्षिणा पूर्ण करण्यासाठी ३६५ दिवस लागतात
हा शोध खरा भास्कराचार्यांनी शेकडो वर्षांपूर्वी लावला होता.
-------------------------------
F. सर्जरीचा शोध २५०० वर्षांपूर्वी सुश्रुताने लावला होता. त्याकाळी सुश्रुत
आणि त्याचा संघ, मोतीबिंदू, ब्रेन सर्जरी, प्लास्टिक सर्जरी, कृत्रिम अवयव
यासारख्या सर्जरी करायचे.
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G. योग - ५००० वर्षांपूर्वी
-----------------------------
H. मर्शिअल आर्टचा शोध बौध भिक्षुकांनी प्रथम भारतात लावला होता
आणि त्यानंतर तो उत्तर आशियात गेला.
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I. IEEE ने सिद्ध केलं आहे की wireless communication चा शोध
डॉ जगदीश बोस यांनी लावला होता, मार्कोनीने नव्हे.
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J. जगातील पहिले विद्यापीठ (university) इ.स. पूर्व ७०० वर्षं – तक्षशीला
विद्यापीठ जिथे जगभरातून १०,५०० हून अधिक विद्यार्थी शिक्षण घ्यायचे
आणि ६० हून अधिक विषय शिकवले जायचे.
------------------------------
K. ब्रिटीश राजवट येण्यापूर्वी इ.स. १७१८ ला भारत हा जगातील सर्वात
श्रीमंत देश होता.
------------------------------
L. भारताच्या १०,००० वर्षांच्या इतिहासात, भारताने कोणत्याही इतर
देशावर विनाकारण हल्ला केला नाही.
------------------------------
M. भारताबाहेर:
i. अमेरिकेतील ३८% डॉक्टर भारतीय आहेत.
ii. अमेरिकेतील १२% वैज्ञानिक भारतीय आहेत.
iii. NASA तील ३६% कर्मचारी भारतीय आहेत.
iv. Microsoft चे ३४% कर्मचारी भारतीय आहेत.
v. IBM चे २८% कर्मचारी भारतीय आहेत.
vi. Intel चे १७% कर्मचारी भारतीय आहेत.
vii. Xerox चे १३% कर्मचारी भारतीय आहेत.
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N. अमेरिका, रशिया आणि चीनला स्पर्धा देणारी भारत ही जगातील
एकमेव उत्कृष्ट स्पेस एजेन्सी आहे. पहिल्याच प्रयत्नात मंगळावर यान
यशस्वीरीत्या पोहचवणारा भारत पहिला देश आहे आणि या यात्रेचा
एकंदरीत खर्च हा हॉलीवूड चित्रपट Gravity च्या खर्चापेक्षाही कमी
होता. २००८ मध्ये एकाच प्रयत्नात १० उपग्रह अंतराळात स्थिर करून भारताने
वर्ल्ड रेकॉर्ड केला होता.
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O. Satelite मध्ये भारताचा जगात दुसरा क्रमांक लागतो.
-------------------------------
P. दुध, काजू, नारळ, चहा, आलं, हळद आणि काळीमिरी उत्पादनात
भारताचा पहिला तसेच गहू, तांदूळ, शेंगदाणे, साखर आणि
मत्सोत्पादनात भारताचा जगात दुसरा क्रमांत लागतो.
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Q. जगातील सर्वाधिक गुराढोरांची संख्या भारतात आहे.
------------------------------
R. जगातील सर्वाधिक पोस्ट ऑफिस भारतात आहेत (१.५० लाख)
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S. जगातील सर्वाधिक वैज्ञानिक आणि इंजिनिअर भारतात आहेत.
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T. हॉटमेल आणि प्लेटीअम चीप चे निर्माते भारतीय आहेत.
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U. भारतीय रेल्वे ही जगातील सर्वाधिक रोजगार पुरवणारी संस्था असून १६ करोड ५० लोकांना ती रोजगार पुरवते. १ लाख ९००० किमी इतका विस्तार, ७,००० स्टेशन, दररोज धावणाऱ्या १३,००० ट्रेन, १ लाख वीस हजार पूल असलेली आणि करोडो प्रवाशांची ने आण करणारी जगातील सर्वात मोठी यंत्रणा म्हणजे भारतीय रेल्वे.
------------------------------
M. एक वर्षाला ४०० हून अधिक चित्रपट निर्माण करणारी, ७२ लाख
लोकांना रोजगार पुरवणारी आणि ६,००० करोड हून अधिक वार्षिक
मिळकत असलेली बॉलीवूड ही जगातली एकमेव फिल्म इंडस्ट्री आहे.
------------------------------
V. मुंबई डबेवाल्यांच्या अचूकतेच प्रमाण ९९.९९९९९९ टक्के इतकं आहे.
दररोज ३,५०० डबेवाले १.५ लाख ऑफिस कर्मचार्यांना अचूकपणे डबे
पुरवतात. असं उदाहरण जगात दुसरं नाही.
o.१३ लाख खाडी फौज आणि १८ लाखाची राखीव इतकी मोठी फौज
असलेलं भारतीय लष्कर हे जगातील एकमेव लष्कर आहे.
-------------------------------
W. स्टेट बँक ऑफ इंडिया ही जगातील सर्वाधिक शाखा असलेली एकमेव बँक आहे.
----------------------------
X. टाटा, SBI, इन्फोसिस या जगातील उच्च २०० कंपन्यातील यादीत पहिल्या ५० मध्ये आहेत.
------------------------------
Y. डुंगारपुरच्या स्वयंसेवकांनी २४ तासात ६ लाख झाडे लावण्याचा
विश्वविक्रम नोंदविला आहे.
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Z. भारतीय BCCI ही जगातील सर्वात श्रीमंत क्रिकेट संस्था आहे.
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 जगातील सगळ्यात मोठी बुद्धिमान तरुण लोकसंख्या भारतात आहे. ही लोकसंख्या अमेरिकेच्या एकूण लोकसंख्येपेक्षा जास्त आहे.
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B. प्रचंड गड-किल्ले, स्मारके आणि नैसर्गिक सौंदर्याने नटलेला
भारत हा जगातील एकमेव देश आहे.
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सगळ्यात महत्त्वाची गोष्ट म्हणजे
१८ प्रमुख भाषा,
१,६०० द्वितीय भाषा,
२९ प्रमुख सण,
६,४०० जाती आणि उपजाती
 ७ संघराज्य,
२९ राज्य,
६ मोठे धर्म,
५२ मोठ्या जमाती
इतकी प्रचंड विविधता असून एकात्मता जपणारा भारत हा जगातील एकमेव देश आआपणा सर्वांना भारतीय असण्याचा अभिमान वाटावा अशी माहिती या मेसेज मधून मिळाली.
ती आवडली म्हणून आपणास शेअर करीत आहे.
Be Pround To Be Indian......
☘फक्त देशी झाडे लावा.☘

❗परदेशी झाडे पर्यावरणास घातक ❗।

👉आजकाल बहुपयोगी वड ,पिंपळ,चिंच ,फणस ,आवळा ,आंबा ,बेल,कडुनिंब ,मोह , कदंब ,पळस अशी भारतीय देशी झाडे लावायची सोडुन मॉडर्नपणाच्या खोट्या समजुतिने परदेशी कॅशिया,ग्लिरिसिडीया,फायकस ,सप्तपर्णी ,स्पॅथोडिया,रेन ट्री अशी परदेशी झाडे लावण्याची फॅशन आली आहे.पण ही परदेशी झाडे पर्यावरणास व आरोग्यास घातक असल्याचे संशोधनावरुन सिध्द झाले आहे.
👉परदेशी झाडांवर कधीही पक्षी🕊🕊 बसत नाहीत आणि घरटी करत नाहीत .एकवेळ आपले पक्षी मुळ भारतीय असलेल्या रामकाटी बाभूळ या देशी झाडावर घरटे करतात पण परदेशी झाडावर करत नाहीत .( रामकाठी बाभूळ ही उंच वाढणारी पिवळी फुले येणारी मूळ देशी बाभूळ आहे ,मात्र आता सर्वत्र झुडुपासारखी वाढणारी वेडी बाभूळ ,बंगाली बाभूळ ,चिलार या नावाने ओळखली जाणारी बाभूळ परदेशी असुन १९७२ साली आयात केलेल्या गव्हा(मिलो )बरोबर भारतात आली आहे . )
👉परदेशी झाडाची पाने ,फुले ,शेंगा आपल्याकडील गाय ,बैल ,शेळी ,माकड कधीच खात नाहीत .माकडे देखील परदेशी झाडावर बसत नाहीत. म्हणजे मुक्या प्राण्यांना जे कळते की परदेशी झाडे घातक आहे ते आपल्या समाजधुरीणांना कळत नाही हेच मोठे दुर्देव ❗❗
👉मुळ अमेरिकेतील ग्लिरिसिडीया या झाडाची पाने,फुले खाण्यात आली तर उंदीर देखील मरतात.त्याच्या  आसपास गवत व इतर झाडे वाढु शकत नाहीत .या झाडाखालुन चालताना धाप लागते .या झाडापासून विषारी वायु उत्सर्जित केला जातो,त्यामुळे पावसाचे प्रमाण कमी होते .इतके विषारी झाड आपल्याकडे सरकारी वृक्षारोपणातुन सर्रासपणे लावलेले आहे .जवळपास ९०% सरकारी जंगले व नर्सरी ग्लिरिसिडीयाने भरलेली आहेत.१९७० च्या दशकात युरोपियन देशांनी षडयंत्र रचुन जागतिक बॅंकेचे कर्ज देण्यासाठी भारतासमोर ग्लिरिसिडीया हे झाड भारतीय जंगलात लावण्याची अट घातली तेव्हापासून आपल्याकडे ग्लिरिसिडीया हे झाड आले.तेव्हापासून पावसाचे प्रमाण हळुहळु कमी झालेले आहे .आपल्या शासकीय वनीकरण कार्यक्रमात वड ,पिंपळ ही देशी झाडे आजपर्यंत न लावल्यामुळे वनीकरण अपयशी ठरले आहे .
👉फायकस या झाडाच्या पानाचा धुर घेतल्यास शरीर सुजते. परदेशी झाडांचे कोणतेही आयुर्वेदीक उपयोग नाहीत .त्यापासुन ऑक्सीजन देखील मिळत नाही .
👉शहरातील ज्या गार्डनमधे मोठ्या प्रमाणावर परदेशी झाडे आहेत तेथे फिरायला जाणाऱ्या नागरिकांमधे ह्रदय रोगाचे प्रमाण वाढलेले असल्याचे संशोधनावरुन सिध्द झालेले आहे .
👉इतक्या मोठ्याप्रमाणावर परदेशी झाडे लावली गेली आहेत आणि त्यांना मुद्दाम नीलमोहोर ,काशीद ,सप्तपर्णी अशी स्थानिक दिशाभुल करणारी नावे दिलेली आहेत की कोणते झाड परदेशी समजायचे असा गोंधळ निर्माण होतो यासाठी ज्या झाडांवर आपल्याकडील पक्षी बसत नाहीत आणि घरटी करत नाहीत ते झाड परदेशी समजावे )
🍃वड,पिंपळ,पळस ही झाडे ज्या भागात आहेत तेथे हमखास पाउस पडतो.असे संशोधनावरुन सिध्द झालेले आहे .
🍃देशी झाडे मुबलक प्रमाणात ऑक्सीजन सोडतात व त्यांचे असंख्य  आयुर्वेदीक उपयोग आहेत .
त्यामुळे खऱ्या अर्थाने वृक्षारोपण करुन पर्यावरणाला हातभार लावायचा असेल तर फक्त देशी झाडे लावा ही विनंती .🙏🍃🍃
☘हा मेसेज जास्तीत जास्त फॉरवर्ड करा त्यायोगे तुमचा वृक्षारोपणास हातभार लागेल
⏳    _अति महत्वाचे ._   ⏳

💻  *_आता एका क्‍लिकवर पॅनसोबत आधार कार्ड लिंक करा!_*💻

📲 _आपल्या SMART PHONE.वरुन सुध्दा आपण लगेचच पँनसोबत आधार कार्ड लिंक करु शकतो..._

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🛡 _~@kishorrupnarayan amt.~_🎀

📊📊📊📊📊🎀📊📊📊📊📊
🎙 *नवी दिल्ली : आधार कार्डशी पॅन लिंक करणे आता आणखी सोपे झाले आहे. कारण आयकर विभागाने यासाठी ई-फायलिंग ही नवी ऑनलाईन सुविधा सुरु केली आहे. याव्दारे एका स्टेपमध्ये तुमचे आधार कार्ड पॅनसोबत लिंक करता येणार आहे. सरकारने इनकम रिटर्न भरण्यासाठी पॅनसोबतच आधार कार्डही अनिवार्य केले आहे. त्यामुळे करदात्यांना आधार कार्ड पॅनशी लिंक करण्यासाठी अडचण येऊ नये म्हणून आयकर विभागाने आपल्या वेबसाईटवर ही नवी सुविधा उपलब्ध करुन दिली आहे.*


🖥 _आधार कार्ड पॅनसोबत कसे लिंक कराल?_💻

*आयकर विभागाच्या incometaxindiaefiling.gov.in या वेबसाईटवर ई-फायलिंग ही नवीन सुविधा देण्यात आली आहे. या लिंकवर क्‍लिक केल्यानंतर अगोदर तुमचा पॅन क्रमांक टाकावा लागेल. त्यानंतर आधार नंबर लागेल आणि त्याखालीच आधार नंबरवर असलेले नाव टाकावे लागेल. वरील सर्व माहिती अचूक टाकल्यानंतर खाली दिलेला व्हेरिफिकेशन कोड टाकून लिंक आधार या पर्यायावर क्‍लिक करावे लागेल. यानंतर लगेच तुमचे आधार कार्ड पॅनशी लिंक होईल. दरम्यान आधार कार्ड आणि पॅनवर असणारी जन्म तारीख एक असणं गरजेचं आहे. अन्यथा तुम्हाला आधार कार्डशी संलग्नित मोबाईल क्रमांकावर वन टाईम पासवर्ड येईल. तो पासवर्ड टाकून पुढील प्रक्रिया करावी लागेल.*    🎇🎇🎇🎇
उपयुक्त माहिती

🕸🕸🕸🕸🕸🕸🕸
1. *PAN* - permanent account number.
2. *PDF* - portable document format.
3. *SIM* - Subscriber Identity Module.
4. *ATM* - Automated Teller machine.
5. *IFSC* - Indian Financial System Code.
6. *FSSAI(Fssai)* - Food Safety & Standards Authority of India.
7. *Wi-Fi* - Wireless fidelity.
8. *GOOGLE* - Global Organization Of Oriented Group Language Of Earth.
9. *YAHOO* - Yet Another Hierarchical Officious Oracle.
10. *WINDOW* - Wide Interactive Network Development for Office work Solution.
11. *COMPUTER* - Common Oriented Machine. Particularly United and used under Technical and Educational Research.
12. *VIRUS* - Vital Information Resources Under Siege.
13. *UMTS* - Universal Mobile Telecommunicati ons System.
14. *AMOLED* - Active-matrix organic light-emitting diode.
15. *OLED* - Organic light-emitting diode.
16. *IMEI* - International Mobile Equipment Identity.
17. *ESN* - Electronic Serial Number.
18. *UPS* - Uninterruptible power supply.
19. *HDMI* - High-Definition Multimedia Interface.
20. *VPN* - Virtual private network.
21. *APN* - Access Point Name.
22. *LED* - Light emitting diode.
23. *DLNA* - Digital Living Network Alliance.
24. *RAM* - Random access memory.
25. *ROM* - Read only memory.
26. *VGA* - Video Graphics Array.
27. *QVGA* - Quarter Video Graphics Array.
28. *WVGA* - Wide video graphics array.
29. *WXGA* - Widescreen Extended Graphics Array.
30. *USB* - Universal serial Bus.
31. *WLAN* - Wireless Local Area Network.
32. *PPI* - Pixels Per Inch.
33. *LCD* - Liquid Crystal Display.
34. *HSDPA* - High speed down-link packet access.
35. *HSUPA* - High-Speed Uplink Packet Access.
36. *HSPA* - High Speed Packet Access.
37. *GPRS* - General Packet Radio Service.
38. *EDGE* - Enhanced Data Rates for Globa Evolution.
39. *NFC* - Near field communication.
40. *OTG* - On-the-go.
41. *S-LCD* - Super Liquid Crystal Display.
42. *O.S* - Operating system.
43. *SNS* - Social network service.
44. *H.S* - HOTSPOT.
45. *P.O.I* - Point of interest.
46. *GPS* - Global Positioning System.
47. *DVD* - Digital Video Disk.
48. *DTP* - Desk top publishing.
49. *DNSE* - Digital natural sound engine.
50. *OVI* - Ohio Video Intranet.
51. *CDMA* - Code Division Multiple Access.
52. *WCDMA* - Wide-band Code Division Multiple Access.
53. *GSM* - Global System for Mobile Communications.
54. *DIVX* - Digital internet video access.
55. *APK* - Authenticated public key.
56. *J2ME* - Java 2 micro edition.
57. *SIS* - Installation source.
58. *DELL* - Digital electronic link library.
59. *ACER* - Acquisition Collaboration Experimentation Reflection.
60. *RSS* - Really simple syndication.
61. *TFT* - Thin film transistor.
62. *AMR*- Adaptive Multi-Rate.
63. *MPEG* - moving pictures experts group.
64. *IVRS* - Interactive Voice Response System.
65. *HP* - Hewlett Packard.

*Do we know actual full form of some words???*
66. *News paper =*
_North East West South past and present events report._
67. *Chess =*
_Chariot, Horse, Elephant, Soldiers._
68. *Cold =*
_Chronic Obstructive Lung Disease._
69. *Joke =*
_Joy of Kids Entertainment._
70. *Aim =*
_Ambition in Mind._
71. *Date =*
_Day and Time Evolution._
72. *Eat =*
_Energy and Taste._
73. *Tea =*
_Taste and Energy Admitted._
74. *Pen =*
_Power Enriched in Nib._
75. *Smile =*
_Sweet Memories in Lips Expression._
76. *etc. =*
_End of Thinking Capacity_
77. *OK =*
_Objection Killed_
78. *Or =*
_Orl Korec (Greek Word)_
79. *Bye =*♥
_Be with you Everytime._

Chhagan Shete LIC Agent
आजारी पडण्यापुर्वी पुढील गोष्टी फक्त आयुर्वेदच करु शकतो
1)कॅन्सर होण्याची भीती वाटते.-नियमित कडीपत्त्याचा रस प्या.
2)हार्ट अँटॅकची भीती वाटते - नियमित अर्जुनासव किँवा अर्जुनारिष्ट प्या.
3)मुळव्याध होण्याची भीती वाटतेय - दररोज सकाळी हिरव्या पानफुटीची पाने खा.
4)किडनी फेल होण्याची भीती वाटतेय-दररोज सकाळी कोथिँबीरिचा रस अनुषापोटी प्या.
5)पित्त होण्याची भीती वाटतेय -नियमित आवळा रस प्या.
6)सर्दी होण्याची भीती वाटतेय - नियमित कोमट पाण्यात हळद टाकुन प्या.
7)टक्कल पडण्याची भीती वाटतेय- वडाच्या पारंब्या खोबरेल तेलात उकळुन गाळुन आँघोळीपुर्वी डोक्याला मालिश करा.
8.)दात लवकर पडण्याची भीती वाटतेय - फ्रिज /कुलरमधील पाणी कधीच पिऊ नका.
9)डायबेटीस होण्याची भीती वाटते- तणावमुक्त जीवन जगा,व्यायाम करा.जागरण टाळा.साखर खाणे बंद करा.गुळ खा.
10)भीतीमुळे झोप येत नाही-रात्रि जेवणापुर्वी 2 तास आधी अश्वगंधारिष्ट ग्लासभर पाण्यात प्या.
काही आजार नसला तरी
अनुलोमीलम 15 मी
कपालभाती 15 मी
सुर्यनमस्कार 12 आर्वतन
रोज करा
आरोग्य संवाद
स्वतः साठी एवढं तरी करा
१) रिकाम्या पोटी हातपाय प्रेस करा, गरम करा.
२) भरपूर टाळ्या वाजवा.
३) हातापायाचे तळवे जेथे दुखत असतील तेथे पंपिंग करून दाब द्या.
४) पायाखाली लाटणे घेऊन त्यावर तळवे फिरवा. ( अँक्युप्रेशर करा )
५) आठवड्यातून एकदा तरी तेलाने सर्व शरीराला माँलिश करा.
६) नियमित प्राणायाम करा. ( भस्त्रिका, कपालभाती व अनुलोम विलोम )
७) सकाळी एक / दोन ग्लास कोमट पाणी प्या.
८) सकाळी जास्तच नाष्टा करा. ८ ते ९ या वेळेत.
९) दुपारी मध्यम आहार घ्या. १ ते २ या वेळेत.
१०) संध्याकाळी गरज असेल तरच जेवा. किंवा हलका आहार घ्या. ७ ते ८ या वेळेत.
११) नाभिचक्र मूळ जागी ठेवा.
१२) पाय गरम, पोट नरम, डोके शांत ठेवा.
१३) एकाचवेळी भरपेट खाऊ नका.
१४) चौरस आहार घ्या.
१५) जास्तीत जास्त शाकाहारी रहा.
१६) Black Tea च प्या.
१७) जेवणात कोशिंबीर ( कच्चे ) खा.
१८) ध्यानधारणा करा.
१९) सकारात्मक वर्तन / विचार ठेवा.
२०) सत्य बोला. समाजसेवा करा.
२१) भरपूर ऐका मात्र कमी बोला.
२२) *नैसर्गिक जीवन जगा.*
२३) गरज असेल तर घरगुती औषधे ( आजीबाईचा बटवा ) घेणे.
२४) पोट साफ ठेवणे.
२५) वात, पित्त व कफ प्रवृत्ती ओळखून उपचार करा.
आरोग्य संदेश
सकाळी पाणी, दुपारी ताक, संध्याकाळी घ्या दुधाचा घोट,
हिच आहे आपल्या निरोगी जीवनाची खरी नोट.
शरीर स्वस्थ व आरोग्यदायी राहण्यासाठी
(१) ९०% आजार हे पोटातून होतात, पोटात अॅसिडीटी, कब्ज नसला पाहिजे, पोट स्वच्छ, साफ तो आरोग्याचा राजा.
(२) शरीरात न धरता येणारे १३ वेग आहेत. याचा विचार करा.
(३) १६० प्रकारचे रोग फक्त मांसाहाराने होतात हे लक्षात ठेवा.
(४) ८० प्रकारचे आजार नुसत्या चहा पिण्याने होतात. हा आपल्याला इंग्रजांनी दिलेला विषारी डोस आहे.
(५) ४८ प्रकाचे रोग ऎल्युनियम भांडी वापरल्याने होतात.त्यात आपण ही भांडी सर्रास वापरतो. ही भांडी ब्रिटिशांनी आपल्या कैदी लोकांना त्रास होवा म्हणून वापरत.
(६) तसेच दारू, कोल्ड्रिंक, चहा याच्या अति सेवनाने हदय रोग होऊ शकतो.
(७) मॅगिनॉट, गुटका, सारी, डुक्कराचे मांस, पिज्जा, बर्गर, बिडी, सिगारेट, पेप्सी, कोक यामुळे मोठे आतडे सडते.
(८) जेवण झाल्यावर लगेच स्नान करु नये यामुळे पाचनशक्ती मंद होते, शरीर कमजोर होते.
(९) केस रंगवू नका, हेअर कलरने डोळ्यास त्रास होतो, कमी दिसू लागते.
(१०) गरम पाण्याने स्नान करण्याने शरीराची प्रतिकार शक्ती कमी होते. गरम पाणी कधीही डोक्यावरुन घेऊ नये डोळे कमजोर होतात.
(११) स्नान करताना कधीही पटकण डोक्यावरून पाणी घेऊ नका कारण पॅरालिसिसचा, हदयाचा अॅटक येऊ शकतो. प्रथम पायावर, गुडघ्यावर, मांडीवर, पोटावर, छातीवर, खांद्यावर, पाणी टाकत चोळत पहिल्यांदा स्नान करावे नंतर डोक्यावर पाणी घ्यावे त्यामुळे डोक्यातून रक्तसंचार पाया कडे होता व त्रास होत नाही, चक्कर येत नाही.
(१२) उभ्याने कधीही पाणी पिऊ नये टाच कायमची दुखु लागते.
(१३) जेवताना वरुन कधीही मीठ घेऊ नये त्यामुळे चक्तचाप, ब्लडप्रेशर वाढतो.
(१४) कधीही जोराने शिंकू नये नाहीतर कानाला त्रास होऊ शकतो.
(१५) रोज सकाळी तुळशीचे पाने खावीत कधीच सर्दी, ताप, मलेरिया होणार नाही
(१६) जेवणानंतर रोज जुना गुळ आणि सौफ खावी पचन चांगले होते व अॅसिडिटी होत नाही.
(१७) सतत कफ होत असेल तर नेहमी मुलहठी चोळावी कफ बाहेर पडतो व आवाज चांगला होतो.
(१८) नेहमी पाणी ताजे प्यावे,विहीरीचे पाणी फार चांगले, बाटलीबंद फ्रिज मधले पाणी कधीही पिऊ नये यामुळे नसानसांत त्रास होतो.
(१९) पाण्याने होणारे रोग यकृत, टायफॉइड, शस्त्र, पोटाचे रोग या पासून लिंबू आपल्याला वाचवते.
(२०) गहूचा चीक, गहूचे कोंब खाण्याने शरीराची प्रतिकार शक्ती वाढते.
(२२) स्वैयपाक झाल्यावर ४८ मिनिटाच्या आत खावा नाहीतर त्यातील पोष
आस्तिक किंवा नास्तिक हा प्रत्येकाच्या वैयक्तिक विषय आहे,
तरी डोळसपणे विचार पुर्वक सत्य काय आहे हे जाणून घ्या....
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०१) माणुस सोडुन एकही प्राणी देव मानत नाही.

०२) जिथ माणुस नाही पोहचला तेथे मंदिर, मस्जिद किंवा चर्च नाही सापडले.

०३) वेगवेगळ्या भागात वेगवेगळ्या देवता आहेत याचाच अर्थ मानवाला जसी कल्पना सुचली तसा देव तयार झाला.

०४) जगात अनेक धर्म व पंथ व स्थानीक देवता आहेत याचाच अर्थ देव सुद्धा एक नाही.

०५) सातत्याने नव नवीन देव तयार होत आहेत......

०६) वेगवेगळ्या प्रार्थना आहेत....

०७) "मानला तर देव नाही तर दगड" ही म्हण उगीचच नाही तयार झाली.

०८) "तीर्थी धोंडा पाणी देव रोकडा सज्जनी" हे संत वचन

०९) जगातील देवतांचे वेग वेगळे आकार व त्यांना प्रसन्न करण्याच्या वेगवेगळ्या पुजा

१०) आतापर्यंत ठाम पणे मला देव भेटला असे कुणी सांगु शकला नाही आणि याचा प्रत्यक्ष पुरावाही देऊ शकला नाही.

११) देव मानणारा व न मानणारा ही सारखेच आयुष्य जगतो

१२) देव कुणाचेच काहीही भले वा वाकडे करू शकत नाही

१३) देव कोणताही भ्रष्टाचार, अन्याय, अत्याचार, चोरी, बलात्कार, आतंकवाद, अराजकता रोखू शकत नाही.

१४) लहान, निष्पाप बालकांवर गोळ्या घालणाऱ्यांचे हात धरू शकत नाही.

१५) मंदिर, मठ, आश्रम, प्रार्थना स्थळे व देवांचे वास्तव्य ज्या ठिकाणी मानले जाते त्या ठिकाणी सुद्धा बालके, स्त्री सुरक्षीत नाहीत.

१६) मंदीर मस्जिद व चर्च पाडताना देव एकदाही आडवा आला नाही की बांधताना नगर पालीकेची परवानगी घेतली नाही.

१७) अभ्यास न करता एकाही देवाने विद्यार्थ्याला पास केल्याचे आठवत नाही.

१८) केदारनाथ मध्ये एकाच वेळी १०००० लोक मेली, वर्षानुवर्षे मक्का मदिनेत चेंगरा-चेंगरी होऊन हजारो लोक मेलेत. एकालाही त्याने वाचवले नाही.

१८) ब-याच देवांचा २५ वर्षापुर्वी मागमुसही नव्हता ते प्रख्यात देव झाले आहेत.

१९) स्वतःस भगवान म्हणून घेणारे सध्या जेलची हवा घेत आहेत, का त्यांना भगवान बाहेर काढत नाहीत ?

२०) जगात २५० कोटी लोक देवच मानत नाहीत तरी ते समाधानाने व आनंदाने रहात आहेत.

२१) हिंदु अल्लाला मानत नाही, मुस्लीम देवाला मानत नाही, ईसाई देव व अल्लाला मानत नाही, हिंदू मुस्लिम गॉड मानत नाही तरीही कोणत्याही देवाने एकमेकांला विचारले नाही की असं का ?

२२) एक धर्म म्हणतो त्याला आकार नाही दुसरा त्या देवाला आकार देवुन फॅन्सी कपडे घालतो तिसरा वेगळच काही तरी सांगतो म्हणजे नेमके चाललय तरी काय या देशात ?

२३) देव आहे तर लोक धाक का पाळत नाहीत ?

२४) समाजात घातक गोष्टी का करतात ?

२५) जो मांसाहार करतो तोही जगतो, नाही करत तोही जगतो, आणि जो
दोन्हीही खातो तोही जगतोच की....

२६) निरपराधांची हत्या होते , स्त्रीयांचे - मुलींचे बलात्कार होतात तेव्हा देव कुठे असतात ?

२७)आपल्या कडे ३३ कोटी पेक्षा अधिक देवी - देवता, आधिक महाराज आधिक अल्लाह आधिक गॉड अधिक संत, महंत यांचा अक्षरशः ऊत आला आहे तरी पाऊस नाही,गरीबीपासुन मुक्ती नाही, शेतक-यांच्या आत्महत्या कमी नाहीत, बलात्कार कमी नाही, रोगराई कमी नाही, भ्रष्टाचार कमी नाही.
'देव-देवतांच्या पुजा करण्यापेक्षा महापुरुषांचे  विचार मनात रुजवले पाहिजेत.'
या सर्व बाबी वरून लक्षात येते की माणसाला देवाचा धाक नाही उलट देवच घाबरलेले आहेत कारण देवाचा निर्माता मानवच आचारसंहिता पाळत नाही. बिच्चारे देव तरी काय करणार,

यावर उपाय एकच....

प्रयत्नवादी बना, विज्ञानवादी बना.
आणि
सर्वांत महत्वाचे....
नेहमी सत्यावर विश्वास ठेवा
🙏🏻सत्यमेव जयते🙏🏻

Wednesday, 13 September 2017

डॉ० एपीजे अब्दुल कलाम की चन्द लाईनें जो हमे जीवन में हमेशा याद रखनी चाहिए। और हो सके तो उसे अमल भी करना चाहिये।
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1. जिदंगी मे कभी भी किसी को
      बेकार मत समझना,क्योक़ि
        बंद पडी घडी भी दिन में
          दो बार सही समय बताती है।

2. किसी की बुराई तलाश करने
      वाले इंसान की मिसाल उस
       मक्खी की तरह है जो सारे
         खूबसूरत जिस्म को छोडकर
           केवल जख्म पर ही बैठती है।

3. टूट जाता है गरीबी मे
      वो रिश्ता जो खास होता है,
        हजारो यार बनते है
          जब पैसा पास होता है।

4. मुस्करा कर देखो तो
      सारा जहाॅ रंगीन है,
        वर्ना भीगी पलको
          से तो आईना भी
             धुधंला नजर आता है।

5..जल्द मिलने वाली चीजे
      ज्यादा दिन तक नही चलती,
        और जो चीजे ज्यादा
           दिन तक चलती है
             वो जल्दी नही मिलती।

6. बुरे दिनो का एक
      अच्छा फायदा
         अच्छे-अच्छे दोस्त
            परखे जाते है।

7. बीमारी खरगोश की तरह
      आती है और कछुए की तरह
        जाती है;
          जबकि पैसा कछुए की तरह
             आता है और.खरगोश की
                तरह जाता है।

8. छोटी छोटी बातो मे
      आनंद खोजना चाहिए
        क्योकि बङी बङी तो
          जीवन मे कुछ ही होती है।

9. ईश्वर से कुछ मांगने पर
      न मिले तो उससे नाराज
        ना होना क्योकि ईश्वर
           वह नही देता जो आपको
             अच्छा लगता है बल्कि
             वह देता है जो आपके लिए
                    अच्छा होता है

10. लगातार हो रही
        असफलताओ से निराश
           नही होना चाहिए क्योक़ि
           कभी-कभी गुच्छे की आखिरी
           चाबी भी ताला खोल देती है।

11. ये सोच है हम इसांनो की
        कि एक अकेला
          क्या कर सकता है
             पर देख जरा उस सूरज को
           वो अकेला ही तो चमकता है।

12. रिश्ते चाहे कितने ही बुरे हो
        उन्हे तोङना मत क्योकि
          पानी चाहे कितना भी गंदा हो
           अगर प्यास नही बुझा सकता
              वो आग तो बुझा सकता है।

13. अब वफा की उम्मीद भी
         किस से करे भला
            मिटटी के बने लोग
               कागजो मे बिक जाते है।

14. इंसान की तरह बोलना
         न आये तो जानवर की तरह
             मौन रहना अच्छा है।

15. जब हम बोलना
         नही जानते थे तो
           हमारे बोले बिना'माँ'
      हमारी बातो को समझ जाती थी।
            और आज हम हर बात पर
                 कहते है छोङो भी 'माँ'
                  आप नही समझोंगी।

16. शुक्र गुजार हूँ
        उन तमाम लोगो का
           जिन्होने बुरे वक्त मे
              मेरा साथ छोङ दिया
                 क्योकि उन्हे भरोसा था
                    कि मै मुसीबतो से
              अकेले ही निपट सकता हूँ।

17. शर्म की अमीरी से
         इज्जत की गरीबी अच्छी है।

18. जिदंगी मे उतार चङाव
         का आना बहुत जरुरी है
          क्योकि ECG मे सीधी लाईन
            का मतलब मौत ही होता है।

19. रिश्ते आजकल रोटी
         की तरह हो गए है
            जरा सी आंच तेज क्या हुई
            जल भुनकर खाक हो जाते।

20. जिदंगी मे अच्छे लोगो की
        तलाश मत करो
          खुद अच्छे बन जाओ
            आपसे मिलकर शायद
               किसी की तालाश पूरी हो।
*🍶कौन सी धातु के बर्तन में भोजन करने से क्या क्या लाभ और हानि होती है🍶*

                         *सोना*

सोना एक गर्म धातु है। सोने से बने पात्र में भोजन बनाने और करने से शरीर के आन्तरिक और बाहरी दोनों हिस्से कठोर, बलवान, ताकतवर और मजबूत बनते है और साथ साथ सोना आँखों की रौशनी बढ़ता है।

                        *चाँदी*

चाँदी एक ठंडी धातु है, जो शरीर को आंतरिक ठंडक पहुंचाती है। शरीर को शांत रखती है  इसके पात्र में भोजन बनाने और करने से दिमाग तेज होता है, आँखों स्वस्थ रहती है, आँखों की रौशनी बढती है और इसके अलावा पित्तदोष, कफ और वायुदोष को नियंत्रित रहता है।

                           *कांसा*

काँसे के बर्तन में खाना खाने से बुद्धि तेज होती है, रक्त में  शुद्धता आती है, रक्तपित शांत रहता है और भूख बढ़ाती है। लेकिन काँसे के बर्तन में खट्टी चीजे नहीं परोसनी चाहिए खट्टी चीजे इस धातु से क्रिया करके विषैली हो जाती है जो नुकसान देती है। कांसे के बर्तन में खाना बनाने से केवल ३ प्रतिशत ही पोषक तत्व नष्ट होते हैं।

                         *तांबा*

तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से व्यक्ति रोग मुक्त बनता है, रक्त शुद्ध होता है, स्मरण-शक्ति अच्छी होती है, लीवर संबंधी समस्या दूर होती है, तांबे का पानी शरीर के विषैले तत्वों को खत्म कर देता है इसलिए इस पात्र में रखा पानी स्वास्थ्य के लिए उत्तम होता है. तांबे के बर्तन में दूध नहीं पीना चाहिए इससे शरीर को नुकसान होता है।

                        *पीतल*

पीतल के बर्तन में भोजन पकाने और करने से कृमि रोग, कफ और वायुदोष की बीमारी नहीं होती। पीतल के बर्तन में खाना बनाने से केवल ७ प्रतिशत पोषक तत्व नष्ट होते हैं।

                         *लोहा*

लोहे के बर्तन में बने भोजन खाने से  शरीर  की  शक्ति बढती है, लोह्तत्व शरीर में जरूरी पोषक तत्वों को बढ़ता है। लोहा कई रोग को खत्म करता है, पांडू रोग मिटाता है, शरीर में सूजन और  पीलापन नहीं आने देता, कामला रोग को खत्म करता है, और पीलिया रोग को दूर रखता है. लेकिन लोहे के बर्तन में खाना नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसमें खाना खाने से बुद्धि कम होती है और दिमाग का नाश होता है। लोहे के पात्र में दूध पीना अच्छा होता है।

                         *स्टील*

स्टील के बर्तन नुक्सान दायक नहीं होते क्योंकि ये ना ही गर्म से क्रिया करते है और ना ही अम्ल से. इसलिए नुक्सान नहीं होता है. इसमें खाना बनाने और खाने से शरीर को कोई फायदा नहीं पहुँचता तो नुक्सान भी  नहीं पहुँचता।

                      *एलुमिनियम*

एल्युमिनिय बोक्साईट का बना होता है। इसमें बने खाने से शरीर को सिर्फ नुक्सान होता है। यह आयरन और कैल्शियम को सोखता है इसलिए इससे बने पात्र का उपयोग नहीं करना चाहिए। इससे हड्डियां कमजोर होती है. मानसिक बीमारियाँ होती है, लीवर और नर्वस सिस्टम को क्षति पहुंचती है। उसके साथ साथ किडनी फेल होना, टी बी, अस्थमा, दमा, बात रोग, शुगर जैसी गंभीर बीमारियाँ होती है। एलुमिनियम के प्रेशर कूकर से खाना बनाने से 87 प्रतिशत पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं।

                           *मिट्टी*

मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने से ऐसे पोषक तत्व मिलते हैं, जो हर बीमारी को शरीर से दूर रखते थे। इस बात को अब आधुनिक विज्ञान भी साबित कर चुका है कि मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने से शरीर के कई तरह के रोग ठीक होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, अगर भोजन को पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाना है तो उसे धीरे-धीरे ही पकना चाहिए। भले ही मिट्टी के बर्तनों में खाना बनने में वक़्त थोड़ा ज्यादा लगता है, लेकिन इससे सेहत को पूरा लाभ मिलता है। दूध और दूध से बने उत्पादों के लिए सबसे उपयुक्त हैमिट्टी के बर्तन। मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने से पूरे १०० प्रतिशत पोषक तत्व मिलते हैं। और यदि मिट्टी के बर्तन में खाना खाया जाए तो उसका अलग से स्वाद भी आता है।
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*The_History_of_Nagpur*

*♧♧♧ नागपुर_की_स्थापना♧♧♧*

लगभग 314 साल पूर्व यांनी 1702 मे
नागपुर नगरी की स्थापन गोंड_राजा_बख्त_बुलंद_शाह_प्रथम ने की थी।
औरंगजेब से मिलने के बाद बख्त_बुलंद_शाह
देवगढ़ से यहां आए।

यहां के 12 गांवों को मिलाकर नागपुर नगरी की स्थापना की।
इन 12 गांवों मे राजापुर, रायपुर,हिवरी,
हरिपुर,वानडे,सक्करदरा,आकरी,लेडरा,
फुटाला,गाडगे,भानखेडा, सीताबर्डी,शामिल
थे।समये के साथ इनमें से कुछ नाम बदल
गए है।उन्होंने गांवों को मुख्य मागों से जोडा
आवश्यकता के अनुसार बाजार बनवाए।
इस तरह नागपुर का धीरे - धीरे विकास
होता रहा।

*☆ ▪☆औरंगजेब ने की थी मदद☆▪☆*

अभ्यासकों के अनुसार इसके पीछे राजा साहब की मजबूरी थी।वे अपना राज-पाट छोड़ कर यहां आए थे।देवगढ़ के तत्कालीन राजा कोकशाह की मुत्यु के पश्चात राजा बख्त बुलंद शाह गद्दी पर बैठे।यह बात राज परिवार के कुछ सदस्यो को खली।उन्होंने बख्त बुलंद को
खत्म करने की योजना बनायी।इसकी भनक लगते ही बख्त बुलंद देवगढ़ से पलायन कर
औरंगजेब के पास मदद मांगने गए।
औरंगजेब ने  उन्हें मदद का आश्वासन तो दिया मगर मुसलमान बनने की शर्त पर।मजबूर बख्त बुलंद को मुसलमान बनना पडा।
लेकिन उन्होंने भी एक शर्त रखी कि वे अपनी
बेटी का विवाह गोंडो से ही करेंगे।केवल
व्यवसायिका व्यवहार रहेगा।औरंगजेब ने
उसकी शर्त मानकर उनकी मदद की।

*♤ ♤देवगढ़ से #हिंदी का आगमन♤ ♤*
जिन दिनों राज परिवार का साम्राज्य था,
तब गोंड राजा के अपने सिक्के हुआ करते थे।
आज वंशजो के  पास एक भी  सिक्का नहीं है।
नागपुर में हिंदी भाषा लाने का श्रेय भी राजा
बख्त बुलंद शाह को ही जाता है।शहर की
स्थापना के बाद उन्होंने जो सिक्के बनाए, वे
हिंदी में थे। इससे  यह भी स्पष्ट होता है कि
नागपुर में हिंदी भाषा का आगमन देवगढ़ से
ही हुआ है।

*♢♢♢ बख्त बुलंद की मुत्यु♢♢♢*
सन 1709 के आसपास राजा बख्त बुलंद शाह
की मुत्यु हो गई।मुत्यु की निश्चित तारीख को
लेकर इतिहासकारों मतभेद है।बख्त बुलंद शाह
के बाद राजा चांद सुल्तान ने गद्दी संभाली।
चांद सुल्तान ने  शहर में आवश्यकतानुसार
अनेक वस्तुओं का निर्माण कराया।उन्होंने
नगर में पाच महाद्वार बनाये।
वर्तमान गांधीसागर बनाम जुम्मा तालाब और
महल का प्रसिद्ध गांधी द्वार उन्हीं की देन है।
उस समय गांधीसागर तालाब के पानी की
आपूर्ति 12 गावों (नागपुर) को की जाती थी।
तालाब का 25 प्रतिशत हिस्सा ही शेष रह गया
है।

*¤¤¤¤ गोंड राजाओं का कालखंड ¤¤¤¤*
1)राजा जाटबा 1580-1620
   ( देवगड़ के संस्थापक )
2)राजा कोकशाह कालवधि उपलब्ध नाही
3)राजा बख्त बुलंद शाह 1686-1709
   ( इन्होंने 1702 मे नागपुर बसाया )
4)राजा चांद सुल्तान 1709-1735
   (इन्होंने महल स्थित जुम्मा(शुक्रवारी)तालाब
    और गांधी गेट (जुम्मा द्वार) बनाया )
5)राजा वली शाह 1735-1738
6)राजा बुरहान शाह 1743-1796
7)राजा बहराम शाह 1796-1821
8)राजा रहमान शाह 1821-1852
9)राजा सुलेमान शाह 1852-1885
10)राजा आजम शाह 1885-1955
11)राजा बख्त बुलंद शाह दिवतीय 1955

*♡♡♡ एक सुचना है♡♡♡*
यह संदेश अपने मित्रों को और परिवार को जरुर भेजे। नागपुर का इतिहास है और
खासकर नागपुर के लोग को पता होना चाहिए।


आजारी पडण्यापुर्वी  पुढील गोष्टी फक्त आयुर्वेदच करु शकतो

1)कॅन्सर होण्याची भीती वाटते.-नियमित कडीपत्त्याचा रस प्या.
2)हार्ट अँटॅकची भीती वाटते - नियमित अर्जुनासव किँवा अर्जुनारिष्ट प्या.
3)मुळव्याध होण्याची भीती वाटतेय - दररोज सकाळी हिरव्या पानफुटीची पाने खा.
4)किडनी फेल होण्याची भीती वाटतेय-दररोज सकाळी कोथिँबीरिचा रस अनुषापोटी प्या.
5)पित्त होण्याची भीती वाटतेय -नियमित आवळा रस प्या.
6)सर्दी होण्याची भीती वाटतेय - नियमित कोमट पाण्यात हळद टाकुन प्या.
7)टक्कल पडण्याची भीती वाटतेय- वडाच्या पारंब्या खोबरेल तेलात उकळुन गाळुन आँघोळीपुर्वी डोक्याला मालिश करा.
8.)दात लवकर पडण्याची भीती वाटतेय - फ्रिज /कुलरमधील पाणी कधीच पिऊ नका.
9)डायबेटीस होण्याची भीती वाटते- तणावमुक्त जीवन जगा,व्यायाम करा.जागरण टाळा.साखर खाणे बंद करा.गुळ खा.
10)भीतीमुळे झोप येत नाही-रात्रि जेवणापुर्वी 2 तास आधी अश्वगंधारिष्ट ग्लासभर पाण्यात प्या.
काही आजार नसला तरी 
अनुलोमीलम 15 मी 
कपालभाती 15 मी 
सुर्यनमस्कार 12 आर्वतन
रोज करा 

आरोग्य संवाद
स्वतः साठी  एवढं  तरी  करा

१)  रिकाम्या  पोटी  हातपाय   प्रेस  करा,  गरम  करा.
२)  भरपूर  टाळ्या  वाजवा.
३)  हातापायाचे  तळवे  जेथे  दुखत  असतील  तेथे  पंपिंग  करून  दाब  द्या.
४)  पायाखाली  लाटणे  घेऊन  त्यावर  तळवे  फिरवा. ( अँक्युप्रेशर  करा )
५)  आठवड्यातून  एकदा  तरी  तेलाने  सर्व  शरीराला  माँलिश  करा.
६)  नियमित  प्राणायाम  करा. ( भस्त्रिका,  कपालभाती  व  अनुलोम  विलोम  )
७)  सकाळी  एक  /  दोन  ग्लास  कोमट  पाणी  प्या.
८)  सकाळी  जास्तच  नाष्टा  करा.  ८  ते  ९  या  वेळेत.
९)  दुपारी  मध्यम  आहार  घ्या.  १  ते  २  या  वेळेत.
१०)  संध्याकाळी  गरज  असेल  तरच  जेवा. किंवा  हलका  आहार  घ्या.  ७  ते  ८  या  वेळेत.
११)  नाभिचक्र  मूळ  जागी  ठेवा.
१२)  पाय  गरम,  पोट  नरम,  डोके  शांत ठेवा.
१३)  एकाचवेळी  भरपेट  खाऊ  नका.
१४)  चौरस  आहार  घ्या.
१५)  जास्तीत  जास्त  शाकाहारी  रहा.
१६)  Black  Tea  च  प्या.
१७)  जेवणात  कोशिंबीर  (  कच्चे  )  खा.
१८)  ध्यानधारणा  करा.
१९)  सकारात्मक  वर्तन / विचार  ठेवा.
२०)  सत्य  बोला. समाजसेवा  करा. 
२१)  भरपूर  ऐका  मात्र  कमी  बोला.
२२)  *नैसर्गिक  जीवन  जगा.*
२३)  गरज  असेल  तर  घरगुती औषधे  ( आजीबाईचा  बटवा )  घेणे.
२४)  पोट  साफ  ठेवणे.
२५)  वात,  पित्त  व  कफ  प्रवृत्ती  ओळखून  उपचार  करा.

                          आरोग्य   संदेश    

सकाळी  पाणी,  दुपारी  ताक, संध्याकाळी  घ्या  दुधाचा  घोट,
हिच   आहे   आपल्या   निरोगी   जीवनाची   खरी   नोट.

शरीर स्वस्थ व आरोग्यदायी राहण्यासाठी

(१) ९०% आजार हे पोटातून होतात, पोटात अॅसिडीटी, कब्ज नसला पाहिजे, पोट स्वच्छ, साफ तो आरोग्याचा राजा.

(२) शरीरात न धरता येणारे १३ वेग आहेत. याचा विचार करा.

(३) १६० प्रकारचे रोग फक्त मांसाहाराने होतात हे लक्षात ठेवा.

(४) ८० प्रकारचे आजार नुसत्या चहा पिण्याने होतात. हा आपल्याला इंग्रजांनी दिलेला विषारी डोस आहे.

(५) ४८ प्रकाचे रोग ऎल्युनियम भांडी वापरल्याने होतात.त्यात आपण ही भांडी सर्रास वापरतो. ही भांडी ब्रिटिशांनी आपल्या कैदी लोकांना त्रास होवा म्हणून वापरत.

(६) तसेच दारू, कोल्ड्रिंक, चहा याच्या अति सेवनाने हदय रोग होऊ शकतो.

(७) मॅगिनॉट, गुटका, सारी, डुक्कराचे मांस, पिज्जा, बर्गर, बिडी, सिगारेट, पेप्सी, कोक यामुळे मोठे आतडे सडते.

(८) जेवण झाल्यावर लगेच स्नान करु नये यामुळे पाचनशक्ती मंद होते, शरीर कमजोर होते.

(९) केस रंगवू नका, हेअर कलरने डोळ्यास त्रास होतो, कमी दिसू लागते.

(१०) गरम पाण्याने स्नान करण्याने शरीराची प्रतिकार शक्ती कमी होते. गरम पाणी कधीही डोक्यावरुन घेऊ नये डोळे कमजोर होतात.

(११) स्नान करताना कधीही पटकण डोक्यावरून पाणी घेऊ नका कारण पॅरालिसिसचा, हदयाचा अॅटक येऊ शकतो. प्रथम पायावर, गुडघ्यावर, मांडीवर, पोटावर, छातीवर, खांद्यावर, पाणी टाकत चोळत पहिल्यांदा स्नान करावे नंतर डोक्यावर पाणी घ्यावे त्यामुळे डोक्यातून रक्तसंचार पाया कडे होता व त्रास होत नाही, चक्कर येत नाही.

(१२) उभ्याने कधीही पाणी पिऊ नये टाच कायमची दुखु लागते.

(१३) जेवताना वरुन कधीही मीठ घेऊ नये त्यामुळे चक्तचाप, ब्लडप्रेशर वाढतो.

(१४) कधीही जोराने शिंकू नये नाहीतर कानाला त्रास होऊ शकतो.

(१५) रोज सकाळी तुळशीचे पाने खावीत कधीच सर्दी, ताप, मलेरिया होणार नाही

(१६) जेवणानंतर रोज जुना गुळ आणि सौफ खावी पचन चांगले होते व अॅसिडिटी होत नाही.

(१७) सतत कफ होत असेल तर नेहमी मुलहठी चोळावी कफ बाहेर पडतो व आवाज चांगला होतो.

(१८) नेहमी पाणी ताजे प्यावे,विहीरीचे पाणी फार चांगले, बाटलीबंद फ्रिज मधले पाणी कधीही पिऊ नये यामुळे नसानसांत त्रास होतो.

(१९) पाण्याने होणारे रोग यकृत, टायफॉइड, शस्त्र, पोटाचे रोग या पासून लिंबू आपल्याला वाचवते.

(२०) गहूचा चीक, गहूचे कोंब खाण्याने शरीराची प्रतिकार शक्ती वाढते.

(२२) स्वैयपाक झाल्यावर ४८ मिनिटाच्या आत खावा नाहीतर त्यातील पोषक तत्वे नाहीशी होतात.

(२३) मातीच्या भांडयात स्वैयपाक केल्यास १००% पोषक, काशाच्या भांडयात स्वैयपाक केल्यास ९७%  पोषक, पिताळाच्या भांडयात स्वैयपाक केल्यास ९३% पोषक, अल्युमिनियमच्या भांडयात स्वैयपाक केल्यास ७ ते १३% पोषक असते

(२४) गव्हाचे पीठ १५ दिवस जुने झालेले वापरू नये.

(२५) १४ वर्षाच्या खालील मुलांना मैदयाचे पदार्थ बिस्किटं, सामोसा व इतर पदार्थ खावू घालू नये.

 (२६) खाण्यास सैंधा मीठ सर्वश्रेष्ठ त्यानंतर काळेमीठ व नंतर पांढरे मीठ पण हे मीठ फार विषारी असते.

(२७) भाजलेल्या ठीकाणी बटाट्याचा रस, हळद, मध, घृतकुमारी, यातील काही लावले तर थंड वाटते व व्रण पडत नाही

(२८) पायाचा अंगठा सरसूच्या तेलाने चोळल्यास डोळ्याची आग, खाज, लाली बरी होते.

(२९) खाण्याचा चुना ७० प्रकारचे रोग बरे करतो.

(३०) कुत्रा चावल्यास तेथे लगेच हळद लावा.

(३१) लिंबू, सरशी तेल, हळद, मीठ एकत्र करुन दात घासल्यास दात स्वच्छ व सफेद होतात, व सर्व दाताचे आजार बरे होतात. डोळ्याचा आजार जेव्हा असेल तेव्हा दात घासू नये.

(३२) फार जागरण केल्याने शरीराची प्रतिकार शक्ती कमजोर होते. पचनक्रिया बिघडते व डोळ्यांचे रोग होतात.

(३३) सकाळचे भोजन राजकुमारा सारखे तर दुपारचे भोजन राजा सारखे आणि रात्रीचे भोजन भिकारयासारखे असते व असावे.

 किडनी साफ करा फक्त ५/- रूपया मध्ये 

                   उपाय

     कोथींबीर  घ्या बारीक चिरुन घ्या.  पाणी उकळून त्यात कोथींबीर टाका गॅस बंद करून झाकण ठेवा (५ मिनीट),नंतर गाळून घ्या आणि रोज १ग्लास ठीक १५दिवस पीत रहा लघवीने बारीक बारीक कण निघता निघता पुर्ण बाहेर निघून किडनी पुर्ण पणे साफ होईल.
      किडनी स्टोन पासुन मुक्त होणारा हा उपाय कुपया जास्तीत जास्त मित्रांना शेयर करा.
कंबर  दुखी 

उपाय

१)  जायफळ  पाण्यात  उगळा  +  तिळाचे  तेल  मिक्स  करा.  नंतर  गरम  करा.  थंड  करून  दुखणा-या  जागी  लावा.
२)  आल्याचा  रस  +  मध  दिवसातून  २/३  वेळा  घ्या.
३)  गरम  पाण्याने  शेक  द्या.
४)  हलका  मसाज  करा.
५)  बर्फाने  शेकवा.
६)  रोज सावकाश  व्यायाम / योगासने करा.
७)  नियमित  प्राणायाम  करा.
८)  प्रथम  तेल  लावा  नंतर श्वास  रोखून  माँलिश  करा.  असा  उपाय  शरीराचा  कोणताही  भाग /  अवयव  दुखत  असेल  तर  नक्कीच  करा. गुण  येतोच.
९)  विश्रांति  घ्या.
१०)  दोन्ही  तळव्यांच्या  मागील  बाजूवर   (अंगठा  व  तर्जनीमध्ये ) अँक्युप्रेशर  करा.
११)  पोट  साफ  राहू  द्या.
१२)  सर्वच  उपाय  एकाचवेळी  करू नका.
१३)  नियमित  सकाळी  कोमट  पाण्यातून  व  संध्याकाळी  कोमट  दुधातून  १ / १ चमचा  मेथी  दाणे  घ्या.

   आरोग्य  संदेश   

व्यायाम  व  अँक्युप्रेशरने  व्हा  सुखी,
माझ्या  सल्याने  थांबेल  कंबर  दुखी.
 मान   दुखी  - - - - -

कारणे  -----

जास्त  थंडीमुळे,  झोपेत  अवघडणे,  लचकणे,  झटकन  वळणे,  डोक्यावर  जास्त  ओझे  घेणे,  स्नायुंना  त्रास  होणे, इ.

उपाय  -----

१)  शेक  द्या. ( गरम  पाणी  /  वाळू  )
२)  हळद  +  चंदन  लेप  द्या.
३)  लसूण  रस  +  कापूर  मिक्स  करून  लावा.  जास्तच  आग  झाल्यास  पाण्याने  साफ  करून  खोबरेल  तेल  लावा.
४)  कोमटच  पाणी  प्या.
५)  सुंठ  उगाळून  लेप  द्या.
६)  प्रथम  तेल  लावा.  नंतर  भरपूर  श्वास  नाकाने  घेऊन  रोखून  धरा.  मानेचे  व्यायाम  सावकाश  करा.  किंवा  हाताने  हलकेसे  माँलिश  करा.
७)  असे  १० / १५  वेळा   रिकाम्या  पोटी  सकाळी  व  संध्याकाळी  करा. नक्कीच  गुण  येतो.
८)  अँक्युप्रेशर  करा  म्हणजेच  हातपाय  घासा  व  प्रेस  करा.  
९)  वरील  योग्य  तेच  उपाय  करा.

           आरोग्य   संदेश     

निरोगी   राहण्यासाठी   द्या  तुम्ही  झोकून.
गुण  येण्यासाठी   मात्र  श्वास  धरा  रोखून.
|| ध्यान (Meditation) ||*

ध्यान म्हणजे काय?

ध्यान म्हणजे सतत बडबड करणार्‍या अस्वस्थ मनाला शांत करणे ! 
त्यासाठी आपण श्वासापासून सुरूवात करतो ! 
ध्यानाची पध्दत अगदी सोपी आहे.

डोळे बंद करा व आपल्या नैसर्गिक श्वासाबरोबर रहा. ध्यान मनातील अस्वस्थ कंपने शांत करते, त्यामुळे त्यातून आत्मशक्‍ति, ऊर्जा जपली जाते, जी चांगले आरोग्य,मनःशांती व जीवनाच्या विवेक-ज्ञानाकडे नेते.

  ध्यानाचे फायदे

आध्यात्मिक स्वास्थ्य हे मुळ आहे आणि शारीरीक आरोग्य हे फळ आहे. 
ध्यान हे आपल्या स्वत:च्या प्रयत्नांनी आपल्या जीवनाला दिलेले सर्वात मोठे बक्षिस आहे ! आपण आपल्या स्वत:ला खूप काही देऊ शकतो !
               
ताबडतोब बरे होणे
सर्व शारीरिक पिडा या मानसिक काळज्यांमुळे होतात. सर्व मानसिक काळज्या बौध्दिक अपरिपक्वपणामुळे निर्माण होतात. बौध्दिक परिपक्वता ही आध्यात्मिक उर्जा कमी पडल्याने आणि आध्यात्मिक विवेकज्ञान कमी असल्याकारणाने येते. ध्यान करून आपल्याला भरपूर आध्यात्मिक उर्जा व आध्यात्मिक विवेकज्ञान मिळते, तेव्हा बुध्दीमत्ता पूर्ण विकसित होते, लवकरच सर्व मानसिक चिंता संपतात. परिणामस्वरूप सर्व शारीरिक आजार नाहीसे होतात. सर्व आजार बरे करण्याचा ध्यान हाच एक मार्ग आहे. पूर्वी केलेल्या वाईट कर्मांमुळे रोग होत असतात. दुष्कृत्यांचे निराकारण झाल्याविना रोग नाहिसे होणार नाहीत. दुष्कृत्यांचे परिमार्जन होण्यासाठी कोणत्याही औषधांचा उपयोग होणार नाही.

स्मरणशक्ती वाढते

ध्यानातून मिळविलेली भरपूर आध्यात्मिक उर्जा मेंदूला उत्तम प्रकारे व जास्तीत जास्त क्षमतेने कार्य करण्यास मदत करते. ध्यानाने स्मरणशक्ति जबरदस्त वाढते म्हणून सर्व विद्यार्थ्यांसाठी ध्यान नितांत आवश्यक आहे. शाळा आणि विद्यापीठ या दोन्ही पातळ्यांवर.

  वाईट सवयी नष्ट होतात 

खूप खाणे, जास्त झोपणे, खूप बोलणे, अती विचार करणे, अती मद्यपान करणे, तंबाखू खाणे, इ. अनेक वाईट सवयी असतात. ध्यान करून मिळवलेले भरपूर विवेकज्ञान आणि आध्यात्मि्क ऊर्जा यामुळे सर्व वाईट सवयी आपोआप सुटतात.
     
मन आनंदी होत

कोणत्याही व्यक्तीसाठी आयुष्य हे पराभव, अपमान आणि वेदना यांनी पूर्ण भरलेले असते. तथापि आध्यात्मिक ज्ञान नि आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त केलेल्या व्यक्तींचे जीवन सर्व पराभव, अपमान आणि वेदना असूनही नेहमी शांत व आनंदी असते.

      
कार्यक्षमता वाढते

भरपूर आध्यात्मिक उर्जा आणि आध्यात्मिक विवेकज्ञान यांच्या अस्तित्वाने सर्व कामे, मग ती शारीरिक असोत वा मानसिक, अधिक कार्यक्षमतेने केली जातात. थोड्या वेळात जास्त कामे पूर्ण होतात. किमान साधने वापरून कौतुकास्पद कामे केली जातात.

झोपेचे तास कमी होतात

ध्यानात मुबलक आध्यात्मिक उर्जा मिळविली जाते. त्यामानाने झोपेत फक्त काही अंश-फार कमी ऊर्जा मिळते. शरीराला मिळणारी विश्रांती आणि मनाला मिळणारी ऊर्जा यांचा विचार करता अर्ध्या तासाचे सखोल ध्यान हे सहा तासांच्या झोपेबरोबरचे असते.

         
 दर्जेदार नातेसंबंध 

आध्यात्मिक विवेक, ज्ञानाची कमतरता हेच परस्पर संबंध इतके समाधानकारक व दर्जेदार नसल्याचे एकमेव कारण आहे. आध्यात्मिक विवेकज्ञान प्राप्त झाल्याने परस्पर नातेसंबंध अतिशय दर्जेदार व पूर्ण समाधानकारक होतात.
              
  विचारशक्ती वाढते  

               
आपल्या लक्ष्यापर्यंत पोहोचण्यासाठी विचारांमध्ये शक्तींची गरज असते. मनाच्या अस्वस्थ अवस्थेत निर्माण होणारे विचार किमान शक्तीचे असतात. त्यामुळे ते आपापल्या लक्ष्यापर्यंत पोहोचत नाहीत. तथापि मन शांत असलेल्या स्थितीत विचार मोठी शक्ति मिळवितात आणि सर्व इच्छा नाटयपूर्ण रितीने प्रत्यक्षात येतात.

जीवनाचा उद्देश

आपण सर्व जन्म घेतो तो विशिष्ट हेतू ठेऊन, विशेष कामाकरीता, विशिष्ट रचना व विशिष्ट योजनेसह. हे फक्त आध्यात्मिकतेने परिपक्व झालेले लोकच समजू शकतात व त्यांच्या जीवनाचा विशिष्ट हेतू, विशेष कार्य, रचना आणि योजना जाणून घेऊ शकतात.

ध्यान का करावे?

ध्यानामध्ये काय ताकद आहे?
सामुहिक ध्यान साधनेचे महत्व काय आहे?

जेव्हां १०० लोक एकत्रितपणे साधना करतात तेंव्हा त्यांच्या लहरी जवळजवळ ५ कि.मी. पर्यंत पसरतात आणि  नकारात्मकता नष्ट करून सकारात्मकता निर्माण करतात. 

आइन्स्टाईनने शास्त्रीय दृष्टिकोनातुन सांगितले आहे की एका अणुचे विघटन केल्यास तो त्याच्या शेजारील अनेक अणूंचे विघटन करतो. त्यालाच आपण अणुविस्फ़ोट म्हणतो. 

हीच गोष्ट आपल्या ऋषी-मुनीनी आपल्याला हजारो वर्षांपूर्वी सांगितली आहे की पृथ्वीवरील केवळ ४% लोकच ध्यान करतात, त्याचा फायदा उर्वरीत ९६% लोकांना होतो. आपणसुद्धा जर ९० दिवस सलग ध्यान केले तर आपल्या कुटुंबातील इतर  व्यक्तींवरील सकारात्मक परिणाम  आपल्यास  दिसून येईल. 
जर पृथ्वीवरील केवळ १०% लोक ध्यान करतील तर पृथ्वीवरील सर्व समस्या नष्ट करण्याची ताकद ध्यानामध्ये आहे. 

महर्षी महेश योगी यांनी १९९३ मध्ये शास्त्रज्ञांपुढे हे सिद्ध केले आहे. त्यांनी ४००० शिक्षकांना वॉशिंग्टन डी सी मध्ये बोलावून त्यांना एक महिना ध्यानाभ्यास करावयास सांगितले. त्यामुळे त्या शहरातील गुन्ह्यांचे  प्रमाण ५०टक्क्यांनी कमी झाले. शास्त्रज्ञाना याचे कारण कळले नाही म्हणुन त्यांनी याला "महर्षी इफेक्ट" असे नाव दिले.  ध्यानामधील ही ताकद आहे.

आपण आपली भौतिक तसेच अध्यात्मिक प्रगती ध्यानामुळे कमी श्रमात साधु शकतो. गरज आहे ती फक्त ध्यानातून स्वत:चा शोध घेण्याची. 

 लिंबाचे 

अतिथंड केलेल्या लिंबाचे आश्चर्यकारक परिणाम

स्वच्छ धुतलेले लिंबु फ्रिजच्या फ्रिजर मध्ये ठेवा.
ते लिंबु पुर्णपणे थंड आणि बर्फासारखे कडल झाल्यावर, साधारणत: 8 ते 10 तासानी, एक किसनी घेउन ते सर्व लिंबु सालासकट किसुन घ्या.. नंतर तुम्ही जे काही खाल त्यावर ते किसलेले लिंबु टाकुन खा.. 

भाज्यांवर, सॅलड वर, आईसक्रीम, सुप, डाळी,  नुडल्स, स्पेगेटी, पास्ता, पिझ्झा, साॅस, भात, या आणि अश्या अनेक पदार्थांवर टाकुन खाता येईन.. 

सर्व अन्नाला एक अनपेक्षीत अशी छान चव येईल.. 
सगळ्यात महत्वाचे, आपल्याला फक्त लिंबाच्या रसातील व्हिटॅमिन सी चे गुणधर्म फक्त माहिती आहेत.. त्यापेक्षा अधिक गुणधर्म माहिती नाहीत.. 

सालासह संपुर्ण गोठलेले लिंबु कोणताही भाग वाया न जाता वापरल्यास एक वेगळी चव तर मिळतेच, परंतु त्याचे अजुन काय फायदे आहेत?? 

लिंबाच्या सालीत लिंबाच्या रसापेक्षा 5 ते 10 पट जास्त व्हिटॅमिन सी असते.. आणि हाच भाग आपण वाया घालवतो.. 

लिंबाची साल आरोग्य वर्धक आहे कारण त्यामुळे शरिरातील सर्व विषद्रव्ये शरिराबाहेर काढुन टाकायला मदत होते.. 

लिंबाच्या सालीचा एक आश्चर्य कारक फायदा म्हणजे त्याच्यामध्ये असलेली एक चमत्कारीक अशी क्षमता की ज्यामुळे शरिरातील सर्व कॅन्सरच्या पेशींचा नाश होतो.. केमोथेरपी पेक्षा ही लिंबाची साल 10,000 पट जास्त प्रभावी आहे.. 

मग आपल्याला हे सर्व का माहिती नाही?? 

कारण आज जगात अश्या प्रयोगशाळा आहेत की ज्या त्याचे कृत्रिम पद्धतीने निर्मीती करण्यात गुंतल्या आहेत कारण त्यापासुन त्याना भरपुर नफा मिळतो.. 

तुम्ही आता तुमच्या गरजू मित्र / मैत्रिनीना सांगु शकता की कॅन्सर सारखा असाध्य आजार दुर ठेवण्यासाठी किंवा झाल्यास बरा करण्यासाठी लिंबाचा रस आणि साल किती फायदेशीर आहे.. त्याची चव पण खुप छान असते आणि केमोथेरपी प्रमाणे त्याचे भयानक साईड इफेक्ट पण नाही आहेत.. 

विचार करा, हा अतिशय साधा, सोपा, परंतु अत्यंत प्रभावी असा उपाय माहिती नसल्याने आज पर्यंत किती लोकाना आपले आयुष्य गमवावे लागले असेल आणि इथुन पुढे आपण किती लोकांचे प्राण वाचवू शकतो??? 

लिंबाच्या वनस्पतीत सर्व प्रकारचे कॅन्सर बरे करण्याची एक चमत्कारीक अशी क्षमता आहे.. याचा वापर बॅक्टेरीअल इन्फेक्षन आणि फंगस वर सुद्धा होउ शकतो.. शरिराअंतर्गत परोपजीवी आणि विषाणु वरही प्रभावी आहे.. 

लिंबाचा रस आणि विशेषत: साल रक्तदाब आणि मानसिक दबाव नियमीत करते.. मानसिक ताण आणि मज्जासंस्थेचे आजार नियंत्रीत करते.. 
या माहितीचा स्त्रोत अतिशय थक्क करणारा आहे : 

जगातल्या सगळ्यात मोठ्या औषध निर्मिती कंपनी पैकी एक असलेल्या कंपनीने हे प्रसिद्ध केले आहे.. ते म्हणतात की 1970 पासुन 20 पेक्षा जास्त प्रयोगशाळानमध्ये संशोधन केल्यानंतर असे निदर्शनात आले आहे की, लिंबाची साल 12 पेक्षा जास्त कॅन्सरच्या घातक पेशी नष्ट करतात.. 

लिंबाच्या झाडाचे औषधी गुणधर्म कॅन्सरवरील ड्रामायसीन या केमेथेरपीसाठी सामान्यपणे वापरल्या जाणा-या औषधापेक्षा 10,000 पट जास्त प्रभावी ठरले आहे.. लिंबाची साल कॅन्सरच्या पेशींची वाढ मंदावते.. 

आणि अधिक आश्चर्याची गोष्ट म्हणजे या लिंबाच्या औषधामुळेच फक्त कॅन्सरच्याच पेशींचा नाश होतो, त्याचा निरोगी पेशिंवर कोणताही विपरीत परिणाम होत नाही.. 

म्हणुन चांगल्या पिकलेल्या लिंबाना स्वच्छ धुवा, त्याना गोठवा आणि किसनीवर किसुन रोजच्या आहारात वापरा.. 
तुमचे संपुर्ण शरिर त्याबद्दल तुम्हाला धन्यवाद देईल..
📙 *तेल शुद्ध कसं करतात ?* 📙

तेल विहिरीतून मिळणाऱ्या खनिज तेलाला कच्चं तेल म्हणतात. पुरातन काळी तिथं साचून राहिलेल्या प्राण्यांच्या आणि वनस्पतींच्या अवशेषांवर पडलेल्या दाबापोटी त्यांचं या तेलात रूपांतर झालेलं असतं. अवशेष कोणत्या प्रकारचे होते ते किती प्राचीन आहेत त्यांच्यावर किती दाब पडला होता आणि जिथे ते होते तिथलं स्थानिक पर्यावरण यावर त्या तेलाचे गुणधर्म अवलंबून असतात. तरीही साधारणपणे हे कच्चं खनिज तेल दाट आणि काळसर रंगाचं असतं.
पण आपण मोटारीत भरतो ते पेट्रोल किंवा डिझेल किंवा स्वयंपाकासाठी वापरण्यात येणारं घासलेट किंवा केरोसिन हे त्या मानानं पातळ आणि नितळही असतं. याचं कारण म्हणजे कच्च्या तेलावर अनेक टप्प्यांची शुद्धीकरण प्रक्रिया करून हे उत्पादन मिळवलेलं असतं.
खनिज तेलामध्ये अनेक प्रकारचे हायड्रोकार्बन या गटात मोडणाऱ्या रसायनांचा समावेश असतो. या हायड्रोकार्बन रसायनांमध्ये मोठ्या प्रमाणात ऊर्जा दडलेली असल्यामुळे त्यांचा वापर अनेक प्रकारच्या उपयुक्त उत्पादनासाठी केला जातो. कच्च्या तेलापासून आपल्याला पेट्रोल डिझेल आणि केरोसिन तर मिळतातच, पण वंगण, नाफ्ता, मेण, प्लास्टिक, पॉलिस्टर, डांबर, खतांसाठी वापरली जाणारी पेट्रो रसायन, कृत्रिम धागे आणि इतर बरेच पदार्थ मिळतात. या सर्वांसाठी कच्च्या तेलात असणार्या निरनिराळ्या घटकांना अलग करून प्रत्येक पदार्थ शुद्ध रूपात मिळविण्याची आवश्यकता असते.
या शुद्धीकरणासाठी मुख्यत्वे दोन प्रकारच्या प्रक्रिया अवलंबल्या जातात. फ्रॅक्शनल डिस्टिलेशन आणि केमिकल कन्व्हर्जन. निरनिराळ्या घटकांचा उत्कलन बिंदू वेगवेगळा असतो. निरनिराळ्या तापमानाला हे घटक उकळतात. त्यांचा वापर करून ऊर्ध्वपतनाच्या प्रक्रियेनं तो घटक वेगळा केला जातो. त्या घटकाला उकळी आली की त्याची वाफ होते. ती एका नळीतून नेऊन थंड केली जाते व ती परत द्रवात रूपांतर केलं जातं. कच्चं तेल हळूहळू तापत निरनिराळे घटक वेगळे केले जातात.
पण अशा तर्‍हेनं वेगळे झालेले वेगळे झालेले सर्वच घटक तसेच्या तसे उपयुक्त असतातच असं नाही. त्यामुळे त्या घटकांवर रासायनिक प्रक्रिया करून त्यांचं उपयुक्त पदार्थांमध्ये रूपांतर करावं लागतं. यासाठी मुख्यत्वे तीन प्रक्रियांचा वापर केला जातो क्रॅकिंगच्या प्रक्रियेत हायड्रोकार्बनच्या लांब साखळ्या तोडून त्यांचं लहान साखळीच्या हायड्रोकार्बन मध्ये रूपांतर केलं जातं. उलटपक्षी काही वेळा एकाहून अधिक लहान साखळ्या जोडून लांब साखळीचे हायड्रोकार्बन तयार करावे लागतात. यासाठी युनिक प्रक्रियेचा वापर होतो. अल्टरेशनच्या प्रक्रियेत रासायनिक प्रक्रिया करून एका हायड्रोकार्बनचा दुसऱ्याच प्रकारच्या रसायनात रूपांतर केलं जातं. तिन्ही प्रकारच्या रासायनिक रुपांतर प्रक्रियांमध्ये वितंरचकांचा फार मोठय़ा प्रमाणावर वापर करावा लागतो. तेल शुद्धीकरण कारखान्यांमध्ये या सर्व प्रकारच्या प्रक्रिया निरनिराळ्या खात्यांमध्ये पार पाडल्या जातात. त्यातून इंधन म्हणून वापरल्या जाणाऱ्या निरनिराळ्या तेलाबरोबर ज्वलनशील वायूंची आणि इतर उत्पादनांसाठी वापरल्या जाणाऱ्या कच्च्या मालाची निर्मिती होत असते.

*बाळ फोंडके यांच्या 'कसं' या पुस्तकातून*

संकलन छगन शेटे 

Monday, 4 September 2017

महासत्तेच्या आकांक्षांना *अविवेकाचं ग्रहण!*
🌜🌚🌝🌞🌛

परवा मध्यरात्री *भारत गाढ झोपी जाताना* तिथे अमेरिकेत सूर्यग्रहण सुरू झालं होतं. इंटरनेटच्या माध्यमातून आपल्यातल्या काही लोकांनी ते इथे बसून पाहिलं. पण, या गेल्या दोन तीन दिवसांत अमेरिकन लोकांनी सोशल मीडियावर ज्या पद्धतीने या ग्रहणाची चर्चा सुरू केलीये ते पाहून खरंच त्यांचा हेवा आणि कौतुक वाटतं.

अमेरिकेच्या बऱ्याचश्या भागांतून हे ग्रहण पाहिलं गेलं. काही ठिकाणी या ग्रहणाची कंकणाकृती दिसली. रस्त्यांवर, इमारतींवर, विमानांतून, पहाडांवरून... जिथे असेल तिथे लोकांनी खऱ्या अर्थाने ग्रहण एन्जॉय केलं. काही ठिकाणी तर ग्रहण काळात बियर पार्ट्याही झाल्या. शेकडोंनी लोक तिथे ग्रहणाचा आस्वाद घ्यायला जमले. काही कंपन्यांनी तर त्यांच्या कामगारांना ग्रहणकाळात बाहेर जाऊन ग्रहण पाहण्याची सूट दिली. मॅक्डोनाल्डसारख्या कंपन्यांनी "आमच्या कामगारांना ग्रहण पाहता यावं म्हणून या या वेळेत कोणत्याही ऑर्डर स्वीकारल्या जाणार नाहीत" अशी सूचना लावली. त्यावर कोणीही आक्षेप नोंदवला नाही. अमेरिकन राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प यांनी व्हाईट हाऊस मध्ये उभं राहून विनाचश्मा ग्रहण पाहिलं म्हणून त्यांच्यावर टीका झाली, त्यांचे मिम्स बनले. नासाने तर काल प्रसिद्ध केलेल्या काही फोटोजने इंटरनेटवर धुमाकूळ घातलाय.

हे रामायण इथे लिहिण्याचं कारण काय? तर आपल्याकडे निसर्गाच्या या आश्चर्यादरम्यान असलेली अक्षम्य उदासीनता. मला आठवतंय मी शाळेत असताना साधारण दुपारच्या वेळेस भारतात खग्रास ग्रहण झालं होतं. मुंबईत त्याची खंडग्रास आकृती दिसणार होती. माझ्या मनात त्याविषयी प्रचंड उत्सुकता होती. पण, एकंदरच शाळेत आजूबाजूच्या कोणालाही त्याची काहीच पडली नव्हती. वर्गातून काहीतरी एक्स्क्यूज देऊन मी टॉयलेटमध्ये गेलो होतो. खिशातला रुमाल डोळ्यासमोर पकडून पाहिलेली सूर्याची ती आकृती आजही आठवते. दुःखद बाब अशी की भूगोलात शिकलेल्या या घटना प्रत्यक्षात पाहण्याची संधी असूनही आम्हाला दाखवण्याची तसदी कोणी घेतली नाही.

पण ती घेणार तरी कशी? आमच्याकडे ग्रहण आलं की टीव्हीवर येणाऱ्या बातम्यांमध्ये आमची मानसिकता दिसते. "आजच्या ग्रहणाचा कोणत्या राशीला धोका?", कोणत्या काळात भाज्या कापू नयेत?", "गरोदर महिलांनी ग्रहण काळात घरात बसावं की नाही बसावं, याविषयी दा. कृ. सोमण काय म्हणतात?", "बाई देवळात किंवा घरात बसणार असेल, तर तिने कोणत्या देवाची आराधना करावी?", "ग्रहण संपल्यावर कशी आंघोळ करावी?" या आणि अश्या अनेक प्रश्नांनी आमच्या टेलिव्हिजन स्क्रीन्स गोंगाट करत असतात. पूर्वीच्या काळात तर म्हणे ग्रहण संपल्यावर महापालिका लोकांना पाणीपुरवठा करत असे. आजही ग्रहण संपलं की घरातलं 'जुनं पाणी' फेकून देऊन 'नवीन पाणी' भरणारे काही लोक माझ्या परिचयात आहेत. हे असे अविवेकी विचार करणारे अत्यंत सधन आणि सुशिक्षित लोक आमच्या देशात आजही खोऱ्याच्या संख्येने आहेत. अश्या देशात ग्रहण पाहण्यासाठी सूट देणे, हा विचार तरी कोणाच्या मनाला कसा शिवेल?

मुंबईत नेहरू तारांगण नावाची एक अत्यंत विलोभनीय जागा आहे. अगदी माफक दरात तिथे अवकाश या विषयावर माहिती देणारे तीन भाषांमधील शोज आहेत. पण, मुंबईकरांची पावलं मात्र तिथे क्वचितच वळतात. मुंबई दर्शन बसेसची कृपा म्हणून तिथे आणि मागच्या सायन्स सेंटर मध्ये माणसं दिसतात. आणि आलेली माणसं सुद्धा हाहा हुहु करण्यात मशगुल असतात. "ए वो देख तारा फुटा", "क्या पकाव गिरी है!" असे अनेक डायलॉग तिथल्या निवेदनासोबत आजूबाजूच्या प्रेक्षकांकडून ऐकायला मिळतात. ही आमच्या देशातील खगोलशास्त्राविषयीची उत्सुकता.

आर्यभट्टाने शून्याचा शोध लावला, असं आम्ही अभिमानाने सांगतो. कॅथलिक चर्च पृथ्वी सपाट आहे असं मानत असताना आम्ही ती नेहमीच गोल मानली हा आमचा इतिहास. करोडो मैलांवर असणाऱ्या ग्रहांचा आमच्या पूर्वजांनी शास्त्रोक्त अभ्यास केला; त्यासाठी जगाने आम्हाला गौरवलं. ज्या देशाच्या वर्तमानातील संविधानात "वैज्ञानिक दृष्टिकोन वाढावा" असं मार्गदर्शन केलं जातं, त्याच देशात विज्ञानाविषयी असलेली अनास्था ही उदासीनता निर्माण करणारी आहे. एकविसाव्या शतकात महासत्ता होऊ पाहणाऱ्या देशाच्या महत्वाकांक्षांना विज्ञानाच्या *उदासीनतेचं असलेलं हे ग्रहण खरंच खेदजनक आहे.*
पपीते के पत्तो की चाय किसी भी स्टेज के कैंसर को सिर्फ 60 से 90 दिनों में कर देगी जड़ से खत्म,

पपीते के पत्ते 3rd और 4th स्टेज के कैंसर को सिर्फ 35 से 90 दिन में सही कर सकते हैं।

अभी तक हम लोगों ने सिर्फ पपीते के पत्तों को बहुत ही सीमित तरीके से उपयोग किया होगा, बहरहाल प्लेटलेट्स के कम हो जाने पर या त्वचा सम्बन्धी या कोई और छोटा मोटा प्रयोग, मगर आज जो हम आपको बताने जा रहें हैं, ये वाकई आपको चौंका देगा, आप सिर्फ 5 हफ्तों में कैंसर जैसी भयंकर रोग को जड़ से ख़त्म कर सकते हैं।

ये प्रकृति की शक्ति है और बलबीर सिंह शेखावत जी की स्टडी है जो वर्तमान में as a Govt. Pharmacist अपनी सेवाएँ सीकर जिले में दे रहें हैं।

आपके लिए नित नवीन जानकारी कई प्रकार के वैज्ञानिक शोधों से पता लगा है कि पपीता के सभी भागों जैसे फल, तना, बीज, पत्तिया, जड़ सभी के अन्दर कैंसर की कोशिका को नष्ट करने और उसके वृद्धि को रोकने की क्षमता पाई जाती है।

विशेषकर पपीता की पत्तियों के अन्दर कैंसर की कोशिका को नष्ट करने और उसकी वृद्धि को रोकने का गुण अत्याधिक पाया जाता है। तो आइये जानते हैं उन्ही से।

University of florida ( 2010) और International doctors and researchers from US and japan में हुए शोधो से पता चला है की पपीता के पत्तो में कैंसर कोशिका को नष्ट करने की क्षमता पाई जाती है।

Nam Dang MD, Phd जो कि एक शोधकर्ता है, के अनुसार पपीता की पत्तियां डायरेक्ट कैंसर को खत्म कर सकती है, उनके अनुसार पपीता कि पत्तिया लगभग 10 प्रकार के कैंसर को खत्म कर सकती है जिनमे मुख्य है।

breast cancer, lung cancer, liver cancer, pancreatic cancer, cervix cancer, इसमें जितनी ज्यादा मात्रा पपीता के पत्तियों की बढ़ाई गयी है, उतना ही अच्छा परिणाम मिला है, अगर पपीता की पत्तिया कैंसर को खत्म नहीं कर सकती है लेकिन कैंसर की प्रोग्रेस को जरुर रोक देती है।।

तो आइये जाने पपीता की पत्तिया कैंसर को कैसे खत्म करती है?
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ये पौधा यूरिक ऐसिड की जकड़न को जड़ से उखाड़ फेंकेगा साथ में गठिया, शरीर का सुन्न पढ़ जाना, दमा, एड्स और पौरुष शक्ति के लिए भी वरदान है

1. पपीता कैंसर रोधी अणु Th1 cytokines की उत्पादन को ब़ढाता है जो की इम्यून system को शक्ति प्रदान करता है जिससे कैंसर कोशिका को खत्म किया जाता है।

2. पपीता की पत्तियों में papain नमक एक प्रोटीन को तोड़ने (proteolytic) वाला एंजाइम पाया जाता है जो कैंसर कोशिका पर मौजूद प्रोटीन के आवरण को तोड़ देता है जिससे कैंसर कोशिका शरीर में बचा रहना मुश्किल हो जाता है।
Papain blood में जाकर macrophages को उतेजित करता है जो immune system को उतेजित करके कैंसर कोशिका को नष्ट करना शुरू करती है, chemotheraphy / radiotheraphy और पपीता की पत्तियों के द्वारा ट्रीटमेंट में ये फर्क है कि chemotheraphy में immune system को दबाया जाता है जबकि पपीता immune system को उतेजित करता है, chemotheraphy और radiotheraphy में नार्मल कोशिका भी प्रभावित होती है पपीता सोर्फ़ कैंसर कोशिका को नष्ट करता है।

सबसे बड़ी बात के कैंसर के इलाज में पपीता का कोई side effect भी नहीं है।।
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कैंसर में पपीते के सेवन की विधि :
कैंसर में सबसे बढ़िया है पपीते की चाय। दिन में 3 से 4 बार पपीते की चाय बनायें, ये आपके लिए बहुत फायदेमंद होने वाली है। अब आइये जाने लेते हैं पपीते की चाय बनाने की विधि।

1. 5 से 7 पपीता के पत्तो को पहले धूप में अच्छी तरह सुखा ले फिर उसको छोटे छोटे टुकड़ों में तोड़ लो आप 500 ml पानी में कुछ पपीता के सूखे हुए पत्ते डाल कर अच्छी तरह उबालें।
इतना उबाले के ये आधा रह जाए। इसको आप 125 ml करके दिन में दो बार पिए। और अगर ज्यादा बनाया है तो इसको आप दिन में 3 से 4 बार पियें। बाकी बचे हुए लिक्विड को फ्रीज में स्टोर का दे जरुरत पड़ने पर इस्तेमाल कर ले। और ध्यान रहे के इसको दोबारा गर्म मत करें।

2. पपीते के 7 ताज़े पत्ते लें इनको अच्छे से हाथ से मसल लें। अभी इसको 1 Liter पानी में डालकर उबालें, जब यह 250 ml। रह जाए तो इसको छान कर 125 ml. करके दो बार में अर्थात सुबह और शाम को पी लें। यही प्रयोग आप दिन में 3 से 4 बार भी कर सकते हैं।

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पपीते के पत्तों का जितना अधिक प्रयोग आप करेंगे उतना ही जल्दी आपको असर मिलेगा। और ये चाय पीने के आधे से एक घंटे तक आपको कुछ भी खाना पीना नहीं है।

कब तक करें ये प्रयोग वैसे तो ये प्रयोग आपको 5 हफ़्तों में अपना रिजल्ट दिखा देगा, फिर भी हम आपको इसे 3 महीने तक इस्तेमाल करने का निर्देश देंगे। और ये जिन लोगों का अनुभूत किया है उन लोगों ने उन लोगों को भी सही किया है, जिनकी कैंसर में तीसरी और चौथी स्टेज थी।