Tuesday, 4 July 2017

सेंधा नमक

*सेंधा नमक : भारत से कैसे गायब कर दिया गया*।।।

🔊 *सेंधा नमक वात, पित्त और कफ को दूर करता हैसेंधा नमक*
💝आप सोच रहे होंगे की ये सेंधा नमक बनता कैसे है ?? आइये आज हम आपको बताते हैं कि नमक मुख्य कितने प्रकार होते हैं !!एक होता है समुद्री नमक दूसरा होता है सेंधा नमक (rock slat) !!सेंधा नमक बनता नहीं है पहले से ही बना बनाया है !! पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को ‘सेंधा नमक’ या ‘सैन्धव नमक’, लाहोरी नमक आदि आदि नाम से जाना जाता है ! जिसका मतलब है ‘सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ’। वहाँ नमक के बड़े बड़े पहाड़ है सुरंगे है !! वहाँ से ये नमक आता है ! मोटे मोटे टुकड़ो मे होता है आजकल पीसा हुआ भी आने लगा है यह ह्रदय के लिये उत्तम, दीपन और पाचन मे मददरूप, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात ठंडी तासीर वाला, पचने मे हल्का है । इससे पाचक रस बढ़्ते हैं। _तों अंत आप ये समुद्री नमक के चक्कर से बाहर निकले ! काला नमक ,सेंधा नमक प्रयोग करे !!_ क्यूंकि ये प्रकर्ति का बनाया है ईश्वर का बनाया हुआ है !! और सदैव याद रखे इंसान जरूर शैतान हो सकता है लेकिन भगवान कभी शैतान नहीं होता !!
💝आयोडीन के नाम पर हम जो नमक खाते हैं उसमें कोर्इ तत्व नहीं होता। आयोडीन और फ्रीफ्लो नमक बनाते समय नमक से सारे तत्व निकाल लिए जाते हैं और उनकी बिक्री अलग से करके बाजार में सिर्फ सोडियम वाला नमक ही उपलब्ध होता है जो आयोडीन की कमी के नाम पर पूरे देश में बेचा जाता है, जबकि आयोडीन की कमी सिर्फ पर्वतीय क्षेत्रों में ही पार्इ जाती है इसलिए आयोडीन युक्त नमक केवल उन्ही क्षेत्रों के लिए जरुरी है।
💝भारत मे 1930 से पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था विदेशी कंपनीया भारत मे नमक के व्यापार मे आज़ादी के पहले से उतरी हुई है , उनके कहने पर ही भारत के अँग्रेजी प्रशासन द्वारा भारत की भोली भली जनता को आयोडिन मिलाकर समुद्री नमक खिलाया जा रहा है
💝हुआ ये कि जब ग्लोबलाईसेशन के बाद बहुत सी विदेशी कंपनियो (अनपूर्णा,कैपटन कुक ) ने नमक बेचना शुरू किया तब ये सारा खेल शुरू हुआ ! अब समझिए खेल क्या था ?? खेल ये था कि विदेशी कंपनियो को नमक बेचना है और बहुत मोटा लाभ कमाना है और लूट मचानी है तो पूरे भारत मे एक नई बात फैलाई गई कि आओडीन युक्त नामक खाओ , आओडीन युक्त नमक खाओ ! आप सबको आओडीन की कमी हो गई है ! ये सेहत के लिए बहुत अच्छा है आदि आदि बातें पूरे देश मे प्रायोजित ढंग से फैलाई गई !! और जो नमक किसी जमाने मे 2 से 3 रूपये किलो मे बिकता था ! उसकी जगह आओडीन नमक के नाम पर सीधा भाव पहुँच गया 8 रूपये प्रति किलो ! और आज तो 20 रूपये को भी पार कर गया है !
💝दुनिया के 56 देशों ने अतिरिक्त आओडीन युक्त नमक 40 साल पहले ban कर दिया अमेरिका मे नहीं है जर्मनी मे नहीं है फ्रांस मे नहीं ,डेन्मार्क मे नहीं , यही बेचा जा रहा है डेन्मार्क की सरकार ने 1956 मे आओडीन युक्त नमक बैन कर दिया क्यों ?? उनकी सरकार ने कहा हमने मे आओडीन युक्त नमक खिलाया !(1940 से 1956 तक ) अधिकांश लोग नपुंसक हो गए ! जनसंख्या इतनी कम हो गई कि देश के खत्म होने का खतरा हो गया ! उनके वैज्ञानिको ने कहा कि आओडीन युक्त नमक बंद करवाओ तो उन्होने बैन लगाया ! और शुरू के दिनो मे जब हमारे देश मे ये आओडीन का खेल शुरू हुआ इस देश के बेशर्म नेताओ ने कानून बना दिया कि बिना आओडीन युक्त नमक बिक नहीं सकता भारत मे !! वो कुछ समय पूर्व किसी ने कोर्ट मे मुकदमा दाखिल किया और ये बैन हटाया गया
💝आज से कुछ वर्ष पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था सब सेंधा नमक ही खाते थे !
💝सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप और बहुत ही गंभीर बीमारियों पर नियन्त्रण रहता है ।! क्योंकि ये अम्लीय नहीं ये क्षारीय है (alkaline ) !! क्षारीय चीज जब अमल मे मिलती है तो वो न्यूटल हो जाता है ! और रक्त अमलता खत्म होते ही शरीर के 48 रोग ठीक हो जाते हैं ! ये नामक शरीर मे पूरी तरह से घुलनशील है ! और सेंधा नमक की शुद्धता के कारण आप एक और बात से पहचान सकते हैं कि उपवास ,व्रत मे सब सेंधा नमक ही खाते है ! तो आप सोचिए जो समुंदरी नमक आपके उपवास को अपवित्र कर सकता है वो आपके शरीर के लिए कैसे लाभकारी हो सकता है ?? सेंधा नमक शरीर मे 97 पोषक तत्वो की कमी को पूरा करता है ! इन पोषक तत्वो की कमी ना पूरी होने के कारण ही लकवे (paralysis ) का अटैक आने का सबसे बढ़ा जोखिम होता है सेंधा नमक के बारे में आयुर्वेद में बोला गया है कि यह आपको इसलिये खाना चाहिए क्योंकि सेंधा नमक वात, पित्त और कफ को दूर करता है। यह पाचन में सहायक होता है और साथ ही इसमें पोटैशियम और मैग्नीशियम पाया जाता है जो हृदय के लिए लाभकारी होता है। यही नहीं आयुर्वेदिक औषधियों में जैसे लवण भाष्कर, पाचन चूर्ण आदि में भी प्रयोग किया जाता है।
💝समुद्री नमक💝:-ये जो समुद्री नमक है आयुर्वेद के अनुसार ये तो अपने आप मे ही बहुत खतरनाक है ! क्योंकि कंपनियाँ इसमे अतिरिक्त आओडीन डाल रही है !! अब आओडीन भी दो तरह का होता है एक तो भगवान का बनाया हुआ जो पहले से नमक मे होता है ! दूसरा होता है industrial iodine ! ये बहुत ही खतरनाक है ! तो समुद्री नमक जो पहले से ही खतरनाक है उसमे कंपनिया अतिरिक्त industrial iodine डाल को पूरे देश को बेच रही है ! जिससे बहुत सी गंभीर बीमरिया हम लोगो को आ रही है ! ये नमक मानव द्वारा फ़ैक्टरियों मे निर्मित है !
💝आम तौर से उपयोग मे लाये जाने वाले समुद्री नमक से उच्च रक्तचाप (high BP ) ,डाइबिटीज़, आदि गंभीर बीमारियो का भी कारण बनता है । इसका एक कारण ये है कि ये नमक अम्लीय (acidic) होता है ! जिससे रक्त अम्लता बढ़ती है और रक्त अमलता बढ्ने से ये सब 48 रोग आते है ! ये नमक पानी कभी पूरी तरह नहीं घुलता हीरे (diamond ) की तरह चमकता रहता है इसी प्रकार शरीर के अंदर जाकर भी नहीं घुलता और अंत इसी प्रकार किडनी से भी नहीं निकल पाता और पथरी का भी कारण बनता है ! और ये नमक नपुंसकता और लकवा (paralysis ) का बहुत बड़ा कारण है समुद्री नमक से सिर्फ शरीर को 4 पोषक तत्व मिलते है ! और बीमारिया जरूर साथ मे मिल जाती है !
💝रिफाइण्ड नमक में 98% सोडियम क्लोराइड ही है शरीर इसे विजातीय पदार्थ के रुप में रखता है। यह शरीर में घुलता नही है। इस नमक में आयोडीन को बनाये रखने के लिए Tricalcium Phosphate, Magnesium Carbonate, Sodium Alumino Silicate जैसे रसायन मिलाये जाते हैं जो सीमेंट बनाने में भी इस्तेमाल होते है। विज्ञान के अनुसार यह रसायन शरीर में रक्त वाहिनियों को कड़ा बनाते हैं🌹 जिससे ब्लाक्स बनने की संभावना और आक्सीजन जाने मे परेशानी होती है🌹 जोड़ो का दर्द और गढिया, प्रोस्टेट आदि होती है। आयोडीन नमक से पानी की जरुरत ज्यादा होती है। 1 ग्राम नमक अपने से 23 गुना अधिक पानी खींचता है। यह पानी कोशिकाओ के पानी को कम करता है। इसी कारण हमें प्यास ज्यादा लगती है।
🌹🙏​ निवेदन 🙏​🌹:पांच हजार साल पुरानी आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में भी भोजन में सेंधा नमक के ही इस्तेमाल की सलाह दी गई है। भोजन में नमक व मसाले का प्रयोग भारत, नेपाल, चीन, बंगलादेश और पाकिस्तान में अधिक होता है। आजकल बाजार में ज्यादातर समुद्री जल से तैयार नमक ही मिलता है। जबकि 1960 के दशक में देश में लाहौरी नमक मिलता था। यहां तक कि राशन की दुकानों पर भी इसी नमक का वितरण किया जाता था। स्वाद के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता था। समुद्री नमक के बजाय सेंधा नमक का प्रयोग होना चाहिए।
💝आप इस अतिरिक्त आओडीन युक्त समुद्री नमक खाना छोड़िए और उसकी जगह सेंधा नमक खाइये !! सिर्फ आयोडीन के चक्कर में समुद्री नमक खाना समझदारी नहीं है, क्योंकि जैसा हमने ऊपर बताया आओडीन हर नमक मे होता है सेंधा नमक मे भी आओडीन होता है बस फर्क इतना है इस सेंधा नमक मे प्राकृतिक के द्वारा भगवान द्वारा बनाया आओडीन होता है इसके इलावा आओडीन हमें आलू, अरवी के साथ-साथ हरी सब्जियों से भी मील जाता है

नास्तिक असण्याचे फायदे

*नास्तिक असण्याचे फायदे*
👍🏻👍🏻👍🏻

👉🏻1.  देवाची आणि भुतांची दोन्हीची अजिबात भीती नाही.

👉🏻2.  संकटसमयी कुणाचा धावा करण्याची गरज नाही, कारण स्वतः हात-पाय हलवायची सवय लागते.

👉🏻3.  मटन आणताना, केस कापताना "आज कुठला वार आहे?", ही मूर्ख चौकशी करावी लागत नाही.

👉🏻4.  घरात मूर्त्या गोळा करून त्यांना रोज आंघोळ, पूजा, असले प्रकार करावे लागत नाहीत.

👉🏻6.  कुठल्याही दिवशी, कधीही, काहीही खाता-पिता येत… अगदी बिनधास्त !

👉🏻7.  मेल्यावर अंत्यविधी आणि नंतरच्या विधीचा खर्च नाही.

👉🏻8.  लग्न बिनाहुंडा, स्वस्तात मस्त करून उरलेले पैसे हनिमूनसाठी वापरता येतात.

👉🏻9.  बारसे, मौंज, सुंता, बाप्तिस्मा इत्यादी बालपणीच्या कटकटी बिलकुल नाहीत.

👉🏻10.  पुजारी, पाद्री, इमाम इत्यादी लोकांशी बिनधास्त भांडता येत… गरजच काय या मेल्यांची मला?

👉🏻11.  उपास-तापास, रोजे, करवा-चौथ, चातुर्मास यापासून पूर्ण मुक्ती.

👉🏻12.  बाळाचे नाव ठेवताना जगातले सगळे पर्याय उपलब्ध असतात.

👉🏻13.  प्रेमात पडताना, लग्न करताना पुढचा माणूस कुठल्या धर्माचा आहे हे पाहायची गरज शुन्य… सरळ भिडा !

👉🏻14.  सगळ्या धर्माच्या, सगळ्या सणांची सारी पक्वान्ने आनंदाने चाखता येतात… कोणतेही व्रतवैकल्ये न करता.

👉🏻15.  कुठल्याही दिशेला डोके किंवा पाय ठेऊन झोपता येते.

👉🏻16.  सगळ्या जाती-धर्माच्या मिरवणुकांच्या नावे सरसकट बोटे मोडता येतात… झेंडा बघायचीही गरज नाही.

👉🏻17.  स्वर्ग-नरक, कयामत, पुनर्जन्म असल्या भंपक कल्पनांचा त्रास नाही, भीती नाही.

👉🏻18.  सक्तीची दक्षिणा, जकात नाही… थोडक्यात खिशाला चाट नाही.

👉🏻19.  'अलिफ-लैला' असो की 'जय मल्हार', 'रामायण', 'महाभारत' असो … सगळ्या सिरियलच्या मूर्खपणावर मस्त हसता येते.

👉🏻20.  कुणालाही भाडेकरू म्हणून ठेवता येते, भाड्याने घर पण सहज मिळते... नास्तिक सर्वमान्य आहेत !

👉🏻21.  धार्मिक मुद्यांवरच्या TV वरच्या चर्चा पाहून panel वरच्या लोकांची कीव करता येते.

👉🏻22.  प्रार्थना, स्तोत्रे, आयाती इत्यादी बिनकामाचे पाठांतर नाही.

👉🏻23.  "मुलांना काही धार्मिक शिकवत नाही का?" या प्रश्नाला छानपैकी हसून निकाली काढता येते.

👉🏻24.  रविवारी उशिरापर्यंत मस्त ताणून देता येते…

👉🏻25.  दंगली, धर्मयुद्ध, जिहाद आदी मूर्खपणाला कवटाळण्याची गरजच नसते… सुखाने जगता येते.

👉🏻26.  घरात आपले आई-बाबा असतानादेखील उगीच दुसर्‍या कुणाला स्वयंघोषित 'माझी आई - माझा बाप' बोलून खोटा ढोंगीपणा करण्याची गरज भासत नाही.

👉🏻27.  चांगलं शिक्षण प्राप्त करून प्रबोधन करता येते...
डोकं गहाण ठेवून कुण्या बुवाबाबांच्या नादाला लागण्याची आणि त्यांच्या पायावर लोटांगण घालून आपल्या मूर्खपणाची खात्री पटवून देण्याची गरज नसते.

👉🏻28.  स्वतःचे कष्टाचे पैसे वायफळ प्रवास खर्च करण्यापासून वाचवता येतात. देवस्थानांचे भले करण्यापेक्षा आणि पुजार्‍याचे पोट भरण्यापेक्षा गरजवंताला देता येते.  त्या पैशाचा सदुपयोग करून आपला सर्वांगीण विकास करता येतो आणि घरी सुबत्ता आणता येते.
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हुश्श … थकलो लिहून.
थोडक्यात सांगू, या सगळ्यांना फाटा देऊन आपले आयुष्य स्वत:च्या सोयीने-इच्छेने, विवेकाने, आनंदात, शांततेत आणि कुठल्याही आडकाठीशिवाय मस्तपैकी जगता येते.
😋😋😊🙂

Mpsc Upsc

*फार महत्वाची माहिती संधी एखादाच येते परत येत नाही*
        ✏सर्वांनी आपल्या ताईला, भावाला, मुलाला, मुलीला .UPSC/MPSC चा अभ्यास करण्यासाठी सांगावे/ मदत करावी.
उदा.माझी ताई आत 11 वी गेली तर ती बाकी मुलांपेक्षा तिला 5 वर्षे जास्त मिळाली तर ती लवकर कोणतीही पोस्ट मिळवू शकते.
 UPSC/MPSC च्या  अभ्यासासाठी तुम्ही जरी रोज 5 तास खर्च केले तरी 5 वर्षांनी तुम्हाला नाव,चांगला पगार ,प्रतिष्ठा सर्व काही मिळेल.

*खालील पुस्तके आवश्यक वाचण्यास द्यावीत*
1)अधिकारणी
2)गरूड झेप
3) स्टिल फ्रेम
4) ताई मी कलेक्टर होणार 5)राजमुद्रा
6)IAS मंत्रा
7)राज्यसेवा स्पर्धामंत्र
अशी अनेक पुस्तके वाचण्यास द्यावित.
विचार करा. लवकर सुरवात करूया,आणी करिअर घडवूया.

  *एमपीएससी म्हणजे काय*

👍एमपीएससी म्हणजे, महाराष्ट्र पब्लिक सर्व्हिस कमिशन अर्थात महाराष्ट्र लोकसेवा आयोग.
हा भारतीय राज्यघटनेच्या कलम ३१५ अन्वये निर्माण केला असून घटनेच्या कलम ३२० अन्वये, सेवक भरती व त्यासंबंधी सल्ला देण्याचे काम, हे आयोग पार पाडते. प्रशासनात पात्र व गुणवत्ताधारक उमेदवारांची भरती केली जावी, त्यात कोणत्याही प्रकारचा गोंधळ होऊ नये, गरप्रकार होऊ नये. यासाठी घटनाकर्त्यांनी राज्यघटनेत स्पष्ट तरतूद करून प्रशासकीय सेवांच्या भरतीसाठी, स्पर्धात्मक परीक्षांचे आयोजन करण्याची जबाबदारी या घटनात्मक संस्थेकडे सोपविली आहे.
*✍ लोकसेवा आयोगाद्वारे खालील सेवांकरता स्पर्धा परीक्षा घेतली जाते*
  ✍ - राज्यसेवा परीक्षा
 ✍ - महाराष्ट्र वनसेवा परीक्षा
    ✍- महाराष्ट्र कृषी सेवा परीक्षा
   ✍ - महाराष्ट्र अभियांत्रिकी सेवा गट अ परीक्षा
    ✍- महाराष्ट्र अभियांत्रिकी सेवा गट ब परीक्षा
    ✍- दिवाणी  न्यायाधीश, कनिष्ठ स्तर व न्याय दंडाधिकारी, प्रथम वर्ग परीक्षा
   ✍ - साहाय्यक मोटर वाहन निरीक्षक परीक्षा
   ✍ - पोलीस उपनिरीक्षक परीक्षा
    ✍- विक्रीकर निरीक्षक परीक्षा
    ✍- साहाय्यक परीक्षा
    ✍- लिपिक-टंकलेखक परीक्षा

*👍राज्यसेवा परीक्षेच्या माध्यमातून राज्य शासनाच्या सेवेतील, राजपत्रित गट अ व गट ब संवर्गातील खालील विविध पदांसाठी एकच परीक्षा घेतली जाते. राज्यसेवा (पूर्वपरीक्षा, मुख्य परीक्षा व मुलाखत या संपूर्ण प्रक्रियेमधून) पुढील पदांसाठी विद्यार्थ्यांची निवड केली जाते*

    ✍- उपजिल्हाधिकारी (गट अ)
   ✍ - पोलीस उपअधीक्षक/साहाय्यक पोलीस आयुक्त (गट अ)
   ✍- मुख्याधिकारी, नगरपालिका/परिषद, गट अ
    ✍- साहाय्यक विक्रीकर आयुक्त (गट अ)
    ✍- उपनिबंधक, सहकारी संस्था (गट अ)
    ✍- उपमुख्य कार्यकारी अधिकारी/गटविकास अधिकारी (गट अ)
   ✍ - महाराष्ट्र वित्त व लेखा सेवा (गट अ)
    ✍- अधीक्षक, राज्य उत्पादन शुल्क (गट अ)
    ✍- तहसीलदार (गट अ)
    ✍- साहाय्यक, प्रादेशिक परिवहन अधिकारी, (गट ब)
    ✍- महाराष्ट्र वित्त व लेखा सेवा (गट ब)
    ✍- कक्ष अधिकारी (गट ब)
    - गटविकास अधिकारी (गट ब)
    ✍- मुख्याधिकारी, नगरपालिका/नगर परिषद,  (गट ब)
    ✍- साहाय्यक निबंधक सहकारी संस्था (गट ब)
    ✍- उपअधीक्षक, भूमी अभिलेख (गट ब)
    ✍- साहाय्यक आयुक्त, राज्य उत्पादन शुल्क, (गट ब)
    ✍- नायब तहसीलदार (गट ब)

 👍महसूल सेवा

    👍उपजिल्हाधिकारी

हे राज्य सेवेतील उच्च पद मानले जाते. बढती आणि सरळ सेवा प्रवेशाने या पदावर नेमणूक होते आणि 18 ते 20 वर्षांच्या सेवेनंतर भारतीय प्रशासकीय सेवेमध्ये बढतीद्वारे प्रवेश मिळू शकतो.
नेमणुका - उपविभागीय अधिकारी, विविध खात्यांचे उपजिल्हाधिकारी, निवासी उपजिल्हाधिकारी. कामाचे स्वरूप
पुढीलप्रमाणे आहे-
✍- उपविभागीय अधिकारी म्हणून काम करताना उपविभागातील शांतता व सुव्यवस्था पाहणे, महसूल वसुली, निर्वाचन अधिकारी म्हणून कार्य इत्यादी.
✍- विविध खात्यांचा उपजिल्हाधिकारी म्हणून काम करताना त्या त्या खात्याशी संबंधित कार्यवाही पूर्ण करणे व माहिती  अद्ययावत ठेवणे.
✍- निवासी उपजिल्हाधिकारी म्हणून काम करताना वरिष्ठ व कनिष्ठ कार्यालयात समन्वय साधणे व जिल्हाधिकाऱ्यांच्या अनुपस्थितीत जिल्हा प्रशासनात सुसूत्रता ठेवणे.

👍🏻मुख्याधिकारी गट-अ

✍🏻या पदांची संख्या कमी आहे. आयोगामार्फत कधीतरी जागा निघतात.
✍अ वर्ग नगरपालिकांसाठी मुख्याधिकारी नियुक्त केला जातो. शहरांच्या विकासासाठी महत्त्वपूर्ण  पद आहे.
✍यातील काहींची महानगरपालिकेत उपायुक्त पदावर पदस्थापना केली जाते. नागरी स्थानिक स्वराज्य संस्थासाठी काम करण्यासाठी नगरविकास विभागातील महत्त्वाचे पद आहे.

    🏇तहसीलदार🏇

✍या पदावर निवड राज्यसेवा परीक्षा (एमपीएससी)द्वारे केली जाते. राज्य सरकार प्रत्येक तालुक्यासाठी एक तहसीलदार नेमते. तहसीलदारांच्या कामाचे स्वरूप पुढीलप्रमाणे -
 ✍- तालुक्यातील महसूल वसुली, प्रशासन याबाबतची सर्व कामे तहसीलदार पार पाडतात. महसूल वसुलीबाबत अर्धन्यायिक अधिकार तहसीलदाराला दिलेले आहेत.
✍- तालुका दंडाधिकारी या नात्याने शांतता व सुव्यवस्था राखण्यासाठीचे न्यायिक अधिकार तहसीलदाराला आहेत.
✍- आपत्ती व्यवस्थापन, नुकसानभरपाई, शासकीय योजनांची अंमलबजावणी, भूमी अभिलेखाबाबतचे निर्णय इ. जबाबदाऱ्याही तहसीलदार पार पाडत असतात.

   🏇 नायब तहसीलदार 🏇

महाराष्ट्र जमीन महसूल कायदा १९६६ अन्वये राज्य शासन प्रत्येक तालुक्यासाठी एक किंवा जास्त नायब तहसीलदारांची नेमणूक करू शकते. तहसीलदारास करावी लागणारी कामेच नायब तहसीलदारांना पार पाडावी लागतात. कामांचे स्वरूप पुढीलप्रमाणे आहे-
- तहसीलदार पातळीवर घेतलेल्या निर्णयांची अंमलबजावणी नायब तहसीलदार करतात.
- महसूल अधिकारी म्हणून महसूल वसुली, बिगरशेती परवाने देणे इ.बरोबर जातीचे, रहिवासाचे दाखले देणे ही काय्रे नायब तहसीलदाराला पार पाडावी लागतात.
- शांतता व सुव्यवस्था राखण्यासाठी दंडाधिकारी म्हणून काही न्यायिक अधिकार नायब तहसीलदाराला देण्यात आले आहेत.
- महसुली कामकाजांतर्गत अर्धन्यायिक अधिकारी म्हणून नायब तहसीलदार काम पाहतात.

    ✍महाराष्ट्र पोलीस सेवा🏇

राज्यसेवेतील निवडीचे सर्वोच्च पद पोलीस उपअधीक्षक किंवा उपविभागीय पोलीस अधिकारी आहे. उपअधीक्षकांच्या कामाचे स्वरूप पुढीलप्रमाणे आहे-
- गंभीर स्वरूपाच्या अपराधांचा तपास करणे.
- अधीनस्थ पोलीस कर्मचाऱ्यांवर नियंत्रण व त्यांच्या तालमी इ.ची जबाबदारी डीवायएसपीवर असते. यासाठी ते वर्षांतून एकदा सर्व पोलीस ठाणी व चौक्यांची तपासणी करतात.
- शांतता व सुव्यवस्था राखण्यासाठी तसेच काही बाबतीत परवाने देण्याचे अधिकार डीवायएसपीला असतात.

   ✍ महाराष्ट्र वित्त व लेखा सेवा

शासनाचे विविध विभाग, महामंडळे येथील लेखाविषयक व वित्तीय जबाबदारीचे काम करण्यासाठी प्रशिक्षित अधिकारी उपलब्ध करून देता यावेत या उद्देशाने केंद्र सरकारच्या धर्तीवर १९६५ मध्ये महाराष्ट्र वित्त व लेखा सेवेची स्थापना करण्यात आली. १९६२ साली स्थापन करण्यात आलेल्या लेखा व कोषागार संचालनालयाचे संचालक लेखा विभागाचे प्रमुख असतात. भारतीय प्रशासकीय सेवेतील अधिकाऱ्यांची या पदावर नेमणूक करण्यात येते.
राज्यसेवा परीक्षेतून वित्त व लेखा सेवा गट अ व ब या पदांसाठी निवड होते व या उमेदवारांची नेमणूक अनुक्रमे कोषागार अधिकारी/ साहाय्यक संचालक व अतिरिक्त कोषागार अधिकारी/ उपमुख्य लेखाधिकारी या पदांवर करण्यात येते. वित्त व लेखा सेवा अधिकाऱ्यांच्या जबाबदाऱ्या पुढीलप्रमाणे आहेत-
- या सेवेतील अधिकाऱ्यांना शासनाच्या विविध विभागांमध्ये लेखाविषयक व लेखा परीक्षणविषयक बाबी सांभाळण्यासाठी प्रतिनियुक्तीवर पाठविण्यात येते.
- शासकीय रकमांचे वित्तीय विनियोजन करणे व याबाबत गरप्रकार होऊ न देणे ही या सेवेतील अधिकाऱ्यांची जबाबदारी असते.
- कार्यालयातील/विभागातील वित्तीय व्यवस्थापन तसेच वेतन भत्ते, रजा व आस्थापनाविषयक कामे या अधिकाऱ्यांना हाताळावी लागतात.

     ✍विक्रीकर (व्हॅट) विभाग

विक्रीकर (व्हॅट) हा राज्य शासनाच्या महसुलातील सर्वात जास्त वाटा असणारा कर म्हणून आहे. विक्रीकर विभाग हा अर्थमंत्रालयाच्या अधीनस्थ कार्यरत आहे. मुंबई विक्रीकर कायद्यान्वये विभागीय आयुक्त, महाराष्ट्र राज्य हे खात्यातील सर्वोच्च पद आहे.
महाराष्ट्र लोकसेवा आयोगातर्फे विक्रीकर निरीक्षक पदासाठी वेगळी परीक्षा आयोजित करून साहाय्यक विक्रीकर आयुक्त पदासाठी निवड करण्यात येते.
साहाय्यक विक्रीकर आयुक्ताच्या जबाबदाऱ्या- व्यापाऱ्यांची नोंदणी करणे, नोंदणीकृत व्यापाऱ्यांना सल्ला, मार्गदर्शन करणे, कराची वसुली इ. बाबींची निर्धारणा शाखेसंबंधीची कामे.
विक्रीकर निरीक्षकाच्या जबाबदाऱ्या- प्रत्यक्ष करवसुली व त्याचा पाठपुरावा करण्याची जबाबदारी विक्रीकर निरीक्षकाची असते. नोटीस व समन्स बजावणे व याबाबतची कार्यवाही तसेच डीफॉल्टर्सचा पाठपुरावा करणे या बाबीही विक्रीकर निरीक्षकाच्या कार्यकक्षेत येतात.

    ✍मोटार वाहन विभाग

 हा विभाग गृहमंत्रालयाच्या अधीन असतो. राज्यसेवा परीक्षेतून साहाय्यक प्रादेशिक परिवहन अधिकारी गट-ब या पदासाठी निवड करण्यात येते. साहाय्यक प्रादेशिक परिवहन अधिकाऱ्याच्या जबाबदाऱ्या पुढीलप्रमाणे आहेत-
शिकाऊ व पक्के ड्रायिव्हग लायसेन्स तसेच आंतरराष्ट्रीय वाहन चालक परवाना साहाय्यक प्रादेशिक परिवहन अधिकाऱ्याकडून दिला जातो. वाहनांची नोंदणी, हस्तांतरण तसेच दुसऱ्या राज्यात/प्रदेशात गेल्यास त्याचे 'ना हरकत प्रमाणपत्र' देणे या बाबी साहाय्यक प्रादेशिक परिवहन अधिकाऱ्यांच्या कार्यकक्षेत येतात. परवाने व नोंदणी प्रमाणपत्राचे नूतनीकरण व दुय्यम प्रती देण्याबाबतची कार्यवाही साहाय्यक प्रादेशिक परिवहन अधिकाऱ्यांकडून होते.

    ✍राज्य उत्पादन शुल्क विभाग

उत्पादन शुल्क हा राज्यसूचीतील विषय असून राज्य महसुलामध्ये याचा मोठा वाटा असतो.
राज्यसेवा परीक्षेद्वारे उपअधीक्षक, राज्य उत्पादन शुल्क या पदावर नियुक्तीसाठी निवड करण्यात येते. प्रत्येक जिल्ह्य़ासाठी एक राज्य उत्पादन शुल्क उपअधीक्षक राज्य शासनाकडून नेमण्यात येतात.

    राज्य उत्पादन शुल्क उपअधीक्षक-

या पदाच्या जबाबदाऱ्या पुढीलप्रमाणे आहेत-
मद्यार्क व अमली पदार्थाची तस्करी रोखणे व त्यासाठी वेगवेगळ्या उद्योग, व्यवसायांची तपासणी करणे हे या विभागातील अधिकाऱ्यांचे महत्त्वाचे काम आहे. मद्य, मद्यार्क, अमली पदार्थ, औषधी द्रव्ये इ. बाबतच्या महसुलाची वसुली हे अधिकारी करतात. अमली पदार्थविषयक गुन्ह्य़ांचा तपास करण्याची जबाबदारीसुद्धा या अधिकाऱ्यांवर सोपवण्यात आली आहे.
आयोगाकडून साहाय्यक व लिपिक संवर्गासाठी स्वतंत्रपणे परीक्षा घेतल्या जातात. राज्यसेवा परीक्षेच्या माध्यमातून कक्ष अधिकारी पदावर निवड होते.

    👤कक्ष अधिकाऱ्यांच्या कामाचे स्वरूप👤

कार्यासनात येणारे टपाल व धारिकांवर विहित वेळेत कार्यवाही पूर्ण करण्याची जबाबदारी कक्ष अधिकाऱ्यांवर असते. प्रत्यक्षात ही कार्यवाही साहाय्यकांकडून सुरू होत असली तरी याबाबत निर्णय घेण्याचे अधिकार कक्ष अधिकाऱ्याला असतात

भारतातील नोटविषयी माहिती

*.भारतात नोटा कश्या तयार होतात? खराब नोटांचं काय करतात? जाणून घ्या!.*


रुपया शब्दाचा प्रयोग सर्वप्रथम शेर शाह सुरीने भारतावर राज्य करीत असताना १५४०-१५४५ च्या कालखंडातकेला होता. सध्या भारतासमवेत इतर ८ देशांमधील चलनाला रुपया म्हटले जाते. भारतात नोटा आणि नाणी बनवण्याचे काम भारतीय रिजर्व बँकच्या अखत्यारीत येते. भारतात सर्वात पहिली वॉटरमार्क असलेली नोट १८६१ मध्ये छापण्यात आली होती. हिंदी आणि इंग्रजी व्यतिरिक्त भारतीय नोटांमध्ये इतर १५ भाषांचा वापर केला जातो.


*.भारतात नोटा कुठे छापल्या जातात?.*
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देशात चार नोट प्रेस आणि एक पेपरमिल आहे.
देवास (मध्य प्रदेश),
नाशिक (महाराष्ट्र), सालबोनी (पश्चिम बंगाल) आणि
म्हैसूर (कर्नाटक)
या चार ठिकाणी नोटा छापल्या जातात.

देवास येथील नोट प्रेस मध्ये एका वर्षात २६५ कोटी नोटा छापले जातात. इथे २०, ५०, १००, ५०० किंमतीच्या च्या नोटा छापल्या जातात नोटा छापण्यासाठी वापरण्यात येणारी शाईसुद्धा इथेच बनते.

नाशिक नोट प्रेस मध्ये १९९१ सालापासून इथे १, २, ५, १०, ५०,१०० किंमतीच्या नोटा छापल्या जातात. सुरवातीला इथे ५० आणि १०० च्या नोटा छापल्या जात नव्हत्या.

*.भारतात नाणी कुठे बनवली जातात?.*
१. मुंबई
२. कोलकत्ता
३. हैदराबाद
४.नोएडा

*.नाण्यांच्या चिन्हावरून समजते की ते कुठे बनवले आहेत :.*

प्रत्येक नाण्यावर असलेल्या चिन्हावरून समजते की ते नाणं कुठे बनवलं गेलं आहे. नाण्यावर छापलेल्या वर्षाच्या खाली जर स्टारचे चिन्ह असल्यास ते हैदराबादला बनवलं गेलं आहे. जर वर्षाच्या खाली टिंब असेल तर ते नाणं नोएडाला बनवण्यात आलं आहे. वर्षाच्या खाली डायमंड असल्यास ते नाणं मुंबईत बनवलं आहे. कोलकत्ता मध्ये बनवलेल्या नाण्यावर कोणतेच चिन्ह नसते.

*.नोटा कोणत्या वस्तूने बनले जातात?.*

रिजर्व बँक ऑफ इंडिया नोट बनवण्यासाठी कापसाच्या कागदाचा आणि विशिष्ट प्रकारच्या शाईचा वापर करते. या प्रकारच्या कागदाचे उत्पादन काही प्रमाणात महाराष्ट्रात (सीएनपी) होते, तर मोठ्या प्रमाणात मध्यप्रदेश मधील होशंगाबाद मध्ये होते. काही पेपर आयत सुद्धा केले जातात.

*.भारतात प्रत्येकवर्षी किती नोटा छापल्या जातात?.*

रिजर्व बँकेच्या एका अहवालानुसार भारत प्रत्येकवर्षी २००० कोटी नोटा छापतो .यामधील ४० टक्के खर्च कागद आणि शाई आयात करण्यामध्ये जातो. हा कागद जपान, जर्मनी आणि ब्रिटन सारख्या देशांमधून आयात केला जातो. नोटा किती छापल्या पाहिजेत, याविषयीचा निर्णय घेण्याचा अधिकार भारतीय रिजर्व बँकेला आहे. नाणी किती तयार केली जावीत याचा निर्णय पूर्णतः सरकार घेते.

*.नोटा कशा छापल्या जातात?.*

विदेशातून आयात होणाऱ्या आणि होशंगाबाद मधून येणाऱ्या पेपरशीटला एका खास मशिन सायमंटन मध्ये टाकले जाते आणि नंतर इंटाब्यू नावाच्या मशीनने त्यावर कलर केले जाते. याप्रकारे नोट तयार होतात. त्यानंतर चांगल्या आणि खराब नोटा वेगळ्या केल्या जातात. एका वेळेस एका शीट मध्ये ३२ ते ४८ नोटा छापण्यात येतात.

*.खराब झालेल्या नोटांना कुठे जमा केले जाते?.*

नोटा तयार करतानाच त्यांची ‘सेल्फ लाइफ’ (नोटा योग्य प्रकारे बनण्याचा अवधी) ठरवण्यात येते. हा अवधी संपल्यानंतर किंवा सारख्या वापरणे खराब झालेल्या नोटांना रिजर्व बँक परत घेते.

*.फाटलेल्या जुना नोटांचे काय केले जाते?.*

खराब झालेल्या आणि फाटलेल्या नोटा रिजर्व बँक परत चलनात आणत नाही, कारण तसे करणे योग्य नसते. रिजर्व बँक सर्व व्यावसायिक बँकांकडून फाटलेल्या आणि खराब नोटा मागवून एकत्र जमा करते. सुरवातीला या नोटा जाळल्या जात असतं, परंतु आता RBI ने पर्यावरणासंवर्धनाच्या दृष्टीने ह्या नोटा जाळणे बंद केले आहे. RBI ने एक ९ कोटींची मशीन आयत केली आहे, ही मशीन जुन्या नोटांचे छोटे तुकडे करते. त्यातून मजबूत अशी विट बनवली जाते .ह्या विटा खूप कामांमध्ये उपयोगी येतात.

*भारतात प्रत्येक वर्षी ५ दशलक्ष नोटा चलनातून बाद होतात, ज्यांचे एकूण वजन ४५००० टन एवढे असते.—.*
दोस्तो दुनिया के हर देश मे सरकार के अपने  सरकारी कार्मचारी होते है सरकार के अनेक विभाग होते है कर्मचारीयो के साधारणतः ४ प्रकार होते है क्लास 1 क्लास 2 क्लास ३ ओर क्लास ४ ये सभी क्लास के कर्मचारी अपनी अपनी  श्रेनियो मे काम करते है सरकारी वेतन,भत्ते ओर सुविधाये सभी कर्मचारी लेते है सरकार को साल मे कम से काम दो बार कार्मचारी कि गिनती किसी न किसी कारण से करनी पडती है ओर किसी भी समय सरकार के पास कर्मचारीयोका सही आकडा नही होता अनेक प्रकार से कई  कर्मचारी किसी ना किसी अन्य विभागो की सेवा मे काम करते है ओर कोई भी विभाग कार्मचारीयो का सही आंकडा न ही दे पाते इसके लिये सरकार हर एक कर्मचारी का एक डिजिटल चुंबकीय कार्ड बनवाये जिसमे उससे जुडी सभी जानकारी उस कार्ड मे हो कर्मचारी कि एक सिरीयल युनिक नंबर  कार्ड राज्य स्तर से बनाया जाये जीससे कर्मचारी का पता चल सके जब भी कोई कर्मचारी नई सरकारी  नौकरी मे शामिल हो जाता है तो उसका एक सिरीयल युनिक नंबर कार्ड राज्य स्तर से बनना चाहिये जीससे उस कर्मचारी को मिलने वाली सभी सुविधाये ओर उसकी पहचान भी हो सके डिजिटल के जमाने मे उसी चुंबकीय सिरीयल  युनिक नंबर कार्ड को पहचान पत्र भी माना जाना चाहिये मंत्रालय मे आते ही उस कार्ड को स्वाएप करते ही कर्मचारी का डेटा मिल जायेगा साथ ही साथ वो कर्मचारी जहा भी काम करता हो उसे उस कार्ड से रोज स्वाएप करना ही पडेगा उसी आधार पर उसका वेतन भी मिलना चाहिये सभी मशिने डिजिटल ओर इंटरनेट से जुडी होने कि वजह से कोई भी वरिष्ठ अधिकारी या कर्मचारी जब भी किसी कार्यालय मे मिटिंग या  दौरे पर जाता है तो उसे उस दिन जब वो अपने कार्यालय मे नही जा पाता उसे अपना कार्ड वहा स्वाएप करते ही उनका दौरा या मिटिंग की सही जगह सिद्ध भी हो जायेगी  कई अधिकारी दौरे पर ना जाते भी सरकार का करोडो रु का भ्रष्टाचार करते है साथ ही साथ यदी कर्मचारी को छुट्टी चाहिये तो उसका वरिष्ठ प्रशाशन अधिकारी उस मशीन मे एक कोड डालेगा जिसका तुरंत उस अधिकारी के मोबाईल पर एक OTP आयेगा ओर उसे डालते ही कर्मचारी की छुट्टी मंजूर हो जायेगी इससे कामचोर कर्मचारी ओर अधिकारी पर अंकुश लगेगा देश के करोडो रु बचत होगी जिस देश का राजा सही मायनो मे ये करेगा उस देश को विकसित करने से कोई नही रोक सकता सिर्फ इछा शक्ती होनी चाहिये