Friday, 1 December 2017

जानकारी काबीले तारीफ है... गौर किजीये !

*I N D I A N   R  U  L E  R  S*

*गुलाम वंश*
1=1193 मुहम्मद  घोरी
2=1206 कुतुबुद्दीन ऐबक
3=1210 आराम शाह
4=1211 इल्तुतमिश
5=1236 रुकनुद्दीन फिरोज शाह
6=1236 रज़िया सुल्तान
7=1240 मुईज़ुद्दीन बहराम शाह
8=1242 अल्लाउदीन मसूद शाह
9=1246 नासिरुद्दीन महमूद 
10=1266 गियासुदीन बल्बन
11=1286 कै खुशरो
12=1287 मुइज़ुदिन कैकुबाद
13=1290 शमुद्दीन कैमुर्स
1290 गुलाम वंश समाप्त्
(शासन काल-97 वर्ष लगभग )

*👉खिलजी वंश*
1=1290 जलालुदद्दीन फ़िरोज़ खिलजी
2=1296
अल्लाउदीन खिलजी
4=1316 सहाबुद्दीन उमर शाह
5=1316 कुतुबुद्दीन मुबारक शाह
6=1320 नासिरुदीन खुसरो  शाह
7=1320 खिलजी वंश स्माप्त
(शासन काल-30 वर्ष लगभग )

*👉तुगलक  वंश*
1=1320 गयासुद्दीन तुगलक  प्रथम
2=1325 मुहम्मद बिन तुगलक दूसरा 
3=1351 फ़िरोज़ शाह तुगलक
4=1388 गयासुद्दीन तुगलक  दूसरा
5=1389 अबु बकर शाह
6=1389 मुहम्मद  तुगलक  तीसरा
7=1394 सिकंदर शाह पहला
8=1394 नासिरुदीन शाह दुसरा
9=1395 नसरत शाह
10=1399 नासिरुदीन महमद शाह दूसरा दुबारा सता पर
11=1413 दोलतशाह
1414 तुगलक  वंश समाप्त
(शासन काल-94वर्ष लगभग )

*👉सैय्यद  वंश*
1=1414 खिज्र खान
2=1421 मुइज़ुदिन मुबारक शाह दूसरा
3=1434 मुहमद शाह चौथा
4=1445 अल्लाउदीन आलम शाह
1451 सईद वंश समाप्त
(शासन काल-37वर्ष लगभग )

*👉लोदी वंश*
1=1451 बहलोल लोदी
2=1489 सिकंदर लोदी दूसरा
3=1517 इब्राहिम लोदी
1526 लोदी वंश समाप्त
(शासन काल-75 वर्ष लगभग )

*👉मुगल वंश*
1=1526 ज़ाहिरुदीन बाबर
2=1530 हुमायूं
1539 मुगल वंश मध्यांतर

*👉सूरी वंश*
1=1539 शेर शाह सूरी
2=1545 इस्लाम शाह सूरी
3=1552 महमूद  शाह सूरी
4=1553 इब्राहिम सूरी
5=1554 फिरहुज़् शाह सूरी
6=1554 मुबारक खान सूरी
7=1555 सिकंदर सूरी
सूरी वंश समाप्त,(शासन काल-16 वर्ष लगभग )

*मुगल वंश पुनःप्रारंभ*
1=1555 हुमायू दुबारा गाद्दी पर
2=1556 जलालुदीन अकबर
3=1605 जहांगीर सलीम
4=1628 शाहजहाँ
5=1659 औरंगज़ेब
6=1707 शाह आलम पहला
7=1712 जहादर शाह
8=1713 फारूखशियर
9=1719 रईफुदु राजत
10=1719 रईफुद दौला
11=1719 नेकुशीयार
12=1719 महमूद शाह
13=1748 अहमद शाह
14=1754 आलमगीर
15=1759 शाह आलम
16=1806 अकबर शाह
17=1837 बहादुर शाह जफर
1857 मुगल वंश समाप्त
(शासन काल-315 वर्ष लगभग )

*👉ब्रिटिश राज (वाइसरॉय)*
1=1858 लॉर्ड केनिंग
2=1862 लॉर्ड जेम्स ब्रूस एल्गिन
3=1864 लॉर्ड जहॉन लोरेन्श
4=1869 लॉर्ड रिचार्ड मेयो
5=1872 लॉर्ड नोर्थबुक
6=1876 लॉर्ड एडवर्ड लुटेनलॉर्ड
7=1880 लॉर्ड ज्योर्ज रिपन
8=1884 लॉर्ड डफरिन
9=1888 लॉर्ड हन्नी लैंसडोन
10=1894 लॉर्ड विक्टर ब्रूस एल्गिन
11=1899 लॉर्ड ज्योर्ज कर्झन
12=1905 लॉर्ड गिल्बर्ट मिन्टो
13=1910 लॉर्ड चार्ल्स हार्डिंज
14=1916 लॉर्ड फ्रेडरिक सेल्मसफोर्ड
15=1921 लॉर्ड रुक्स आईजेक रिडींग
16=1926 लॉर्ड एडवर्ड इरविन
17=1931 लॉर्ड फ्रिमेन वेलिंग्दन
18=1936 लॉर्ड एलेक्जंद लिन्लिथगो
19=1943 लॉर्ड आर्किबाल्ड वेवेल
20=1947 लॉर्ड माउन्टबेटन

ब्रिटिस राज समाप्त शासन काल 90 वर्ष लगभग

*🇮🇳आजाद भारत,प्राइम मिनिस्टर🇮🇳*
1=1947 जवाहरलाल नेहरू
2=1964 गुलजारीलाल नंदा
3=1964 लालबहादुर शास्त्री
4=1966 गुलजारीलाल नंदा
5=1966 इन्दिरा गांधी
6=1977 मोरारजी देसाई
7=1979 चरणसिंह
8=1980 इन्दिरा गांधी
9=1984 राजीव गांधी
10=1989 विश्वनाथ प्रतापसिंह
11=1990 चंद्रशेखर
12=1991 पी.वी.नरसिंह राव
13=अटल बिहारी वाजपेयी
14=1996 ऐच.डी.देवगौड़ा
15=1997 आई.के.गुजराल
16=1998 अटल बिहारी वाजपेयी
17=2004 डॉ.मनमोहनसिंह
*18=2014 से  नरेन्द्र मोदी*

*764 सालों  का भारतीय इतिहास*
देशात इंजिनिअरिंगच्या तंत्रज्ञानाचा पाया घालणारे सर मोक्षगुंडम विश्वसरैया यांचा १५ सप्टेंबर हा जन्मदिन, 'अभियंता दिन' (इंजिनीअर्स डे) म्हणून साजरा केला जातो. हार्दिक शुभेच्छा !!!
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अभियांत्रिकीचा व्यवसाय करण्यात तज्ज्ञ असलेला अभियंता हा वैज्ञानिक माहिती, गणित व कल्पकता वापरून तांत्रिक समस्यांवर उपाययोजना तयार करीत असतो. आपल्या देशात डॉ. एम. विश्‍वसरैया नावाचे एक महान अभियंते होऊन गेले. इंडियन इन्स्टिट्युशन ऑफ इंजिनियर्स ही भारतातील अभियंत्यांची संघटना, त्याचा १५ सप्टेंबर हा वाढदिवस ‘आंतरराष्ट्रीय अभियंता दिन’ म्हणून साजरा करते. १९५५ साली सर विश्‍वेस्वरय्यांना ‘भारतरत्न’ या सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्काराने सन्मानित केले गेले होते, यावरून त्यांच्या हयातीतील प्रचंड कार्याची कल्पना येते. भद्रवती स्टील कारखान्याची निर्मिती, म्हैसूर युनिव्हर्सिटीची स्थापना, कृष्णराजासागर धरणाची बांधणी, म्हैसूर बँक या अशा संस्था नि वास्तूचे ते शिल्पकार होते. आपल्या देशाला त्या काळात प्रगतीपथावर ठेवण्याचे महान कार्य त्यांनी केले. इंग्रजांची सत्ता असताना म्हैसूर राज्यातच नव्हे तर तद्नंतर केंद्रीय सरकारातदेखील मोठमोठी जबाबदारीची नि महत्त्वाची पदे त्यांनी भूषविली होती.

वयोवृद्ध होईपर्यंत ते सतत कार्यमग्न राहिले. वयाच्या ९२ व्या वर्षी पटनाला जाऊन गंगेवर पूल बांधण्याच्या कामाची त्यांनी आखणी केली होती. कुठल्याही प्रकारचा थाटमाट न करता ते साधेपणाने जगले. गोरगरीबांच्या हितासाठी त्यांनी कितीतरी प्रकल्पांत स्वतःला झोकून दिले होते. १५ सप्टेंबर १८६० साली जन्मलेल्या या बुद्धिमान तंत्रशोधकाचे १४ एप्रिल १९६२ रोजी महानिर्वाण झाले. एका भारतीय अभियंत्याच्या गौरवार्थ हा आंतरराष्ट्रीय दिवस मानला जातो, ही किती गौरवाची बाब आहे! अभियंत्यांचं कार्य उपयोजित स्वरुपाचे असते. मूलभूत वैज्ञानिक शोधांचा मानवी कल्याणासाठी, त्यांच्या गरजा भागविण्यासाठी वापर करण्याचे कसब अभियंत्यांकडे असते. एखादा तंत्रज्ञानीय इलाज हुडकून काढताना त्यांना तो बिकट प्रश्‍न समजून घ्यावा लागतो. त्यातील बारिकसारीक क्लृप्त्या शोधून काढाव्या लागतात. योग्य तो निर्णय घ्यावा लागतो. संशोधन करणे, शोध घेणे आणि माहितीचा प्रत्यक्ष वापरात रुपांतर करणे ही कामे अभियंत्यांना जिकीरीने करावी लागतात. अभियांत्रिकी विश्‍लेषणाच्या विविध पद्धती वापरून अभियंते परीक्षण, उत्पादन वा यंत्रसामुग्रीची देखभाल करतात. एखाद्या प्रकल्पासाठी किती वेळ व पैसा खर्च येतो याचा अंदाजदेखील त्यांना वारंवार घ्यावा लागतो. प्रकल्पातील धोक्यांचा आढावा घ्यावा लागतो.

अभियांत्रिकीत विविध शाखा आहेत व त्या निरनिराळ्या विषयांशी निगडित असतात. भिन्न प्रकारचे अभियंते त्या वेगवेगळ्या शाखेतले तज्ज्ञ असतात. अभियंत्यांना आपल्या कामात कटाक्षाने नैतिकता पाळावी लागते. आपला व्यवसाय, नोकरी, ग्राहक, समाज यांच्याप्रती त्यांना कर्तव्यपूर्ती करावी लागते. डॉक्टर मंडळी जशी हिपोक्रेटीसची शप्पथ घेतात, तशाच प्रकारची प्रतिज्ञा अभियंत्यांना व्यवसायाच्या प्रारंभी करावी लागते. त्यासंबंधी कडक मार्गदर्शिका नि कायदेकानून असतात. उ.अमेरिका आणि कॅनडात नवनिर्वाचित अभियंत्यांच्या अंगुठीत लोखंड किंवा स्टेनलेस स्टीलची अंगठी घालतात व त्याला त्याच्या जबाबदारीची जाणीव करून देतात. ती १९२५ पासून सुरू असलेली जुनी परंपरा आहे. इंजिन चालविणारा तो इंजिनिअर ही १३२५ साली वापरात आलेली संज्ञा असली तरी मानवी संस्कृतीच्या प्रारंभापासून अभियांत्रिकीचा वापर होत आला आहे. चाकाचा शोध हा त्या उत्क्रांतीतला महत्त्वाचा टप्पा होता.

– जोसेफ तुस्कानो
Source : http://navshakti.co.in/prarthana/14775/
1. खून का पहला ट्रांसफर 1667 में दो कुत्तों के बीच किया गया था।

2. दुनिया का पहला Blood Bank, 1937 में बनाया गया था।

3. एक बूंद खून में 10,000 white blood cells और 250,000 प्लेटलेट्स होती है।

4. हमारे शरीर में रक्त का 70% भाग red blood cell के अंदर मौजूद hemoglobin में, 4% भाग मांसपेशियों के प्रोटीन मायोग्लोबिन में, 25% भाग लीवर, अस्थिमज्जा, प्लीहा व गुर्दे में होता है और बाकि बचा 1% रक्त प्लाजमा के तरल अंश व कोशिकाओं के एंजाइम्स में होता है।

5. हर 3 सेकेंड में भारत में किसी न किसी को खून की आवश्यकता होती है। हर दिन दुनिया में 40,000 यूनिट खून की जरूरत पड़ती है। 3 में से 1 व्यक्ति को जीवन में कभी न कभी खून की आवश्यकता पड़ती है।

6. हमारी नसों में खून 400 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ता है और पूरे दिन में लगभग 9600 km की दूरी तय करता है।

7. यदि हमारा दिल शरीर से बाहर खून पंप करे तो यह खून को 30 मीटर ऊपर उछाल सकता है।

8. मजबूरी में नारियल पानी को ब्लड प्लाज्मा की जगह चढ़ाया जा सकता है।

9. मनुष्य का रक्त केवल 4 तरह (O, A, B, AB) का होता हैं लेकिन गायों में लगभग 800, कुत्तो में 13 और बिल्लियों में 11 तरह का रक्त पाया जाता हैं.

10. सिर्फ मादा मच्छर ही खून चूसती है नर मच्छर शाकाहारी होते है ये सिर्फ मीठे तरल पदार्थ पीते है। मादा मच्छर अपने वजन से 3 गुना ज्यादा खून पी सकती है।

11. आपको लगता होगा कि मच्छर थोड़ा सा खून पीते है लेकिन आपको बता दे कि 12 लाख मच्छर आपका पूरा खून चूस जाएगे। मच्छर “O” ग्रुप का खून चूसना पसंद करते है।

12. एक नवजात शिशु में सिर्फ 1 कप (250ml) खून होता है और एक जवान आदमी में लगभग 5 लीटर खून हो सकता है। मतलब, शरीर के कुल वजन का 7%.

13. मौत के बाद शरीर का जो अंग धरती के सबसे नजदीक होता हैं खून का बहाव भी उसी तरफ हो जाता हैं और फिर खून जम भी जाता हैं एसा शायद गुरूत्वाकर्षण के कारण होता है।

14. गर्भवती और स्तनपान करवाने वाली महिलाएँखून दान नही कर सकती।

15. हमारे शरीर में लगभग 0.2 मिलीग्रॅाम तक सोनाहोता है और इसकी सबसे आधिक मात्रा खून में पाई जाती है। 40,000 लोगो के खून में से 8 ग्राम सोना निकाला जा सकता है।

16. जापान में लोग ब्लड ग्रुप के माध्यम से ही आदमी के व्यक्तित्व का अंदाजा लगा लेते है।

17. James Harrison, नाम का व्यक्ति पिछले 60 सालों में 1,000 बार खून दान कर चुका है और 20 लाख लोगों की जिंदगी बचा चुका है।

18. ब्राजील देश में एक आदिवासी समूह है बोरोरो। हैरानी की बात ये है कि इस समूह के सभी लोगो का एक ही ब्लड ग्रुप “O” है।

19. लगभग सभी में लाल रंग का खून पाया जाता है लेकिन मकड़ी और घोंघा में हल्के नीले रंग का खून पाया जाता है।

20. HP प्रिंटर की काली स्याही खून से ज्यादा महंगी है।

21. स्वीडिश में जब कोई खून दान करता है तो उसे “Thank You” का मैसेज किया जाता है और ऐसा ही मैसेज तब भी किया जाता है जब उसका खून किसी के काम आता है।

22. शारीरक तौर पर एक ही समय पर पेशाब करना और रक्त देना असंभ्व है।

23. कई बार जब हम आसमान की तरफ देखते है तो हमारी आँखो के सामने थोड़े सफेद-सफेद से डाॅट्स घूमने लगते है। दरअसल ये हमारी white blood cells होती है।

24. रक्त कोशिकाओं को पूरी बाॅडी का चक्कर लगाने में केवल 30 second लगते है, ये 20 सेकंड में 1,12,000 km की दूरी तय कर सकती है.

25. केकड़े का नीलम जैसा खून धरती पर इकलौता ऐसा पदार्थ है जिसका प्रयोग ड्रग्स में पाए जाने वाले दूषित पदार्थों का टेस्ट करने के लिए किया जाता है।

26. यदि रक्त वाहिकाओं को सिरे से सिरे तक मिला लिया जाए तो ये 2 बार धरती को लपेट सकती है।

27. अभी तक कृत्रिम खून नही बनाया जा सका है। ये सिर्फ भगवान की देन है।

28. Red Blood Cells: ये oxygen को लेकर चलती है और co2 को खत्म करती है।

29. White Blood Cells: ये शरीर को बैक्टीरिया और वायरस से बचाता है।

30. Plasma: ये बाॅडी में प्रोटीन लेकर चलता है ये खून को जमने से बचाता है।

31. Platelets: ये खून की जमने में मदद करती है, इन्हीं की वजह से चोट लगने के कुछ देर बाद खून निकलना बंद हो जाता है।
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*👬फ्रेंडस अकॅडमी👬*
*होमी जहांगीर भाभा*

*भारतीय अणुभौतिकशास्त्रज्ञ*

*जन्मदिन - ऑक्टोबर ३०, इ.स. १९०९*

होमी भाभा (इ.स. १९०९ - इ.स. १९६६) भारतीय अणुभौतिकशास्त्रज्ञ होते. भारताच्या अणुऊर्जा विकासकार्यक्रमाचा पाया रचण्याच्या कामगिरीमुळे त्यांना भारताच्या अणुऊर्जा व अण्वस्त्र विकासकार्यक्रमाचे प्रणेता मानले जाते.
जीवन
भाभा यांचा जन्म सधन पारशी कुटुंबात झाला. वडील जहांगीर भाभा हे बॅरीस्टर होते. पुस्तकांची आवड असल्यामुळे घरातच खूप पुस्तके गोळा केली होती. त्यात विज्ञान विषयाचीही पुस्तके होती. होमी भाभा यांना या पुस्तकांमुळे विज्ञानात स्वाभाविकपणेच आवड निर्माण झाली. शिवाय त्यांना कवितेचा आणि चित्रकलेचा छंद होता. अतिशय सुंदर, देखणे व्यक्तीमत्त्व लाभालेले होमी भाभा उत्तम वक्ताही होते.
त्यांचे प्राथमिक ते पदवी पर्यंतचे शिक्षण मुंबई येथे झाले. होमी यांनी पुढे इंजिनियर व्हावे असे त्यांच्या वडिलांना वाटत होते. पण होमी यांनी वडिलांना आपल्याला गणित आणि भौतिक शास्त्रातच विशेष आवडतात असे ठामपणे सांगितले. वडिलांनी हो-ना करत गणिताचा सखोल अभ्यास करण्यास परवानगी दिली पण आधी प्रथम श्रेणीत इंजिनियरींगची पदवी प्राप्त करण्याची अट घालून दिली. वडिलांनी परवानगी दिल्यावर होमी भाभा केंब्रीज विद्यापिठातून इ.स. १९३० साली प्रथम श्रेणीत इंजिनियर झाले. तसेच पॉल डिरॅक यांच्या मार्गदर्शनाखाली गणिताचा अभ्यासही करीत राहिले. त्या काळात त्यांना शिष्यवृत्ती आणि अनेक बक्षीसेही मिळाली.
इ.स. १९४० साली भारतात परत आल्यावर काही काळ डॉ. भाभा यांनी भारतीय विज्ञान संस्था, बंगलोर येथे प्रोफेसर म्हणून काम केले. इ.स. १९४५ साली टाटा मूलभूत संशोधन संस्थेची स्थापना करण्यात मदत केली आणि आपले संशोधन कार्य संभाळून डॉ. भाभा टाटा मूलभूत संशोधन संस्थेचे संचालक झाले. भारताच्या स्वातंत्र्यानंतर इ.स. १९४८ साली त्यांच्या पुढाकाराने अणु उर्जा आयोगाची स्थापना करण्यात आली. याही संस्थेचे तेच संचालक म्हणून काम पाहू लागले. त्यांच्या अथक परिश्रमांमुळेच भारत देशात अणु भट्टी ची स्थापना होऊ शकली. अणुचा वापर शांततेच्या मार्गानेच व्हावा असे ठाम मत संयुक्त राष्ट्रच्या सभेत मांडणारे भाभा हे पहिले वैज्ञानिक. डॉ. भाभा यांनी पाया रचला म्हणूनच भारताने अनेक ठिकाणी अणु भट्या सुरू करून त्यांचा विज निर्मितीसाठी उपयोग केला तसेच १८ मे, इ.स. १९७४ या दिवशी भारताने पोखरण येथे पहिला अणुस्फोट घडवून आणला.
संयुक्त राष्ट्रच्या सभेला जातांना २४ जानेवारी, इ.स. १९६६ या दिवशी फ्रान्सच्या हद्दीत असतांना त्यांचे विमान अपघातात निधन झाले. त्यांच्या मृत्यु नंतर ट्रॉम्बे येथील अणु संशोधन केंद्राचे नाव बदलून भाभा अणु संशोधन केंद्र असे ठेवण्यात आले.
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